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रायबरेली में ऑनलाइन भैंस खरीदने वाला दूधिया साइबर ठगी का शिकार हो गया है। दूधिये से साइबर ठगों ने दस हज़ार झटक लिया है। मामला हरचंदपुर थाना क्षेत्र के टांडा गांव का है। यहां के रहने वाले सुनील कुमार अपने गांव में दूध का व्यापार करते हैं। सुनील अपने तबेले में भैंस की संख्या बढ़ाना चाहते थे। उसी दौरान उन्होंने मोबाइल पर किसान भाइयों डेरी फार्म नाम के यूट्यूब चैनल पर दुधारू भैंस देखी थी। चैनल पर इन भैंसों को ऑनलाइन खरीदने के लिए स्क्रीन पर दिये गए नंबर से संपर्क करना बताया गया था। सुनील ने दिये गये नंबर पर संपर्क किया तो शुभम नाम के व्यक्ति ने ख़ुद को जयपुर का व्यापारी बताते हुए भैंसों का रेट बताया। शुभम ने बताया कि उसके पास अच्छी नस्ल की भैंस उपलब्ध है जो दिन में 18 लीटर तक दूध देती है। साइबर ठग शुभम ने भैंस की कीमत 55 हजार रुपए बताई। साइबर ठग ने व्हाट्सऐप पर भैंस की तस्वीर भी भेज दी। सुनील ने इसे खरीदने की इच्छा जताई तो साइबर ठग ने दस हज़ार रुपये एडवांस मांगा। उसने कहा कि दस हज़ार मेरे अकाऊंट में भेज दो बाकी रकम भैंस डिलीवर होने के बाद देना। इसके बाद सुनील ने साइबर ठग शुभम के खाते में दस हज़ार ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। दूसरे दिन जब भैंस नहीं आई तो उसने शुभम को फोन किया। साइबर ठग शुभम ने कहा पच्चीस हज़ार और भेजो तब भैंस मिल पाएगी। इसके बाद सुनील कुमार को शंका हुई कि उसके साथ साइबर फ्रॉड हो गया है। पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर शिकायती पत्र देते हुए कार्रवाई की मांग की है। उधर एसपी अभिषेक कुमार ने मामले में कोई ऐक्शन लिया या नहीं यह जानने ले। लिए सीयूजी नंबर पर काल की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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गदागंज थाना क्षेत्र के बरारा बुजुर्ग गांव की रहने वाली रोशनी नाम की महिला ने थाने में तहरीर देकर न्याय की गुहार लगाई है । पीड़ित महिला ने बताया कि पड़ोस के रहने वाले रामबरन ने उस प्रधानमंत्री आवास दिलाने के नाम पर ₹30 हजार रुपये ले लिए इसके बावजूद इसके उसका पीएम आवास नहीं बना। जब महिला ने आरोपी से रुपए मांगे। तब उसने महिला को जान से मारने की धमकी दे डाली । थाना प्रभारी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि घटना की जांच कराई जा रही है कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी संस्था आईसीएमआर के डाटाबेस में सेंध लगाकर चुराया गया 81 करोड़ लोगों का डाटा इंटरनेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डाटा में लोगों के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी, पासपोर्ट, नाम, फ़ोन नंबर, पते सहित तमाम निजी जानकारियां शामिल हैं। यह सभी जानकारी इंटरनेट पर महज कुछ लाख रुपये में ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसे डाटा लीक के इतिहास का सबसे बड़ा डाटा लीक कहा जा रहा है, जिससे भारत की करीब 60 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी।