*हर किसी को खानी है फाइलेरिया से बचाव की दवा* - जिले के चार विकास खंडों में चलाया जाएगा अभियान - एमडीए अभियान के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रमों में आई तेजी फोटो - *पीलीभीत*। आगामी 10 फरवरी से जिले के चार विकास खंडों में शुरू होने वाले सामूहिक दवा सेवन अभियान (एमडीए) कि सफलता को लेकर ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य कर्मियों को लेकर प्रशिक्षण का दौर तेज हो चला है। इसी क्रम में माधौटांडा, कुरैया, पूरनपुर यूनिट पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मौके पर मलेरिया अधिकारी राजीव मौर्या ने बताया कि जिले के चार विकास खंडों पूरनपुर, न्यूरिया, बरखेड़ा और बिलसंडा में पिछले दिनों कराए गए नाइट ब्लड सर्वे के दौरान एक प्रतिशत या इससे अधिक केस मिले हैं, इसलिए इन ब्लॉकों में यह अभियान चलाया जाएगा। जबकि शेष ब्लॉकों में नाइट ब्लड सर्वे के दौरान एक प्रतिशत से भी कम केस मिले हैं, इसलिए इन क्षेत्रों में यह अभियान नहीं चलाया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जिन ब्लॉकों में यह अभियान चलाया जा रहा है, उनकी आबादी को देखते हुए पूरनपुर ब्लॉक को तीन यूनिट में बांटा गया है, जिससे अभियान को सफल बनाया जा सके। फाइलेरिया निरीक्षक कृष्ण प्रताप दुबे ने बताया कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एमडीए अभियान का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत साल में एक बार फाइलेरिया रोगियों सहित सभी लोगों को फाइलेरिया जैसी दिव्यांग बनाने वाली बीमारी से बचाव के लिए फाइलेरिया रोधी दवा के रूप में अल्बेंडाजोल और डाईइथाईल कार्बामजीन (डीईसी) दवा खिलाई जाती है। फाइलेरिया निरीक्षक पंकज गुप्ता ने बताया कि आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर सभी लोगों को अपने सामने ही फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने के बाद चाक या गेरू कि मदद से घर कि दीवारों पर परिवार के सदस्यों एवं दवा खाने वालों की संख्या भी दर्ज करेगीं। उन्होंने यह भी बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा खानी है। फाइलेरिया निरीक्षक दीपेश चौधरी ने बताया कि दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है। ऐसे में यदि कोई गंभीर स्थिति होती है तो उससे निपटने के लिए सभी ब्लॉकों पर रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन किया गया है। इनसेट --- *क्या कहते हैं सीएमओ ---* फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो ठीक नहीं होती है। इससे बचने का एकमात्र उपाय फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन है। एमडीए अभियान के तहत लगातार पांच साल तक साल में एक बार फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कर इस बीमारी से बचा जा सकता है। *- डॉ. आलोक कुमार, सीएमओ*