रायबरेली। अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में रायबरेली के तमाम अधिवक्ताओं ने भी न्यायिक प्रक्रिया में अहम भूमिका निभायी, उन्हीं में एक हैं मिलिन्द द्विवेदी एडवोकेट जिन्होंने प्रकरण में अपनी बौद्धिक क्षमता का परिचय दिया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमन प्रकाश ने खचाखच भरी अदालत में राम ज्योति के सिलसिले में पकड़े गये 36 भाजपा व विहिप कार्यकर्ताओं में से 14 व्यक्तियों को रिहा करने के आदेश देते हुए यह आदेश पारित किया कि उक्त गिरफ्तार कार्यकर्ता अवैध ढंग से पकड़ कर हिरासत में रखे गए और कथित मजिस्ट्रेट का आदेश अंतर्गत धारा 107/116(3) दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत अवैधानिक है और न्यायिक प्रक्रिया से परे हैं। बचाव पक्ष के वकील सूर्यनारायण दुबे एस.पी.सिंह,ज्योति प्रकाश तिवारी, बृजेश बहादुर सिंह, कमला शंकर त्रिपाठी, मिलिंद द्विवेदी, की लम्बी जिरह की गंभीरता से सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश ने अपना निर्णय सुनाते हुए अपने आदेश में यह भी उल्लिखित किया कि पकड़े जाने के काफी दिनों बाद 17.10.90 को गिरफ्तार शुदा व्यक्तियों से जमानत दाखिल करने का आदेश दिया परन्तु उस आदेश में वह बात उल्लिखित नहीं की गई कि उन सभी व्यक्तियों को कानून की किस धारा एवं अधिकार से गिरफ्तार किया गया तथा उनके विरूद्ध उपरोक्त धाराओं के अंतर्गत मुकदमा चलाया गया। माननीय न्यायाधीश ने यह भी उल्लिखित किया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता को उपरोक्त धाराओं में जमानत की कार्यवाहीं त्वरित प्रक्रिया हैं। और 119 की नोटिस के तुरन्त बाद गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत पर रिहा किए जाने का प्राविधान है परन्तु प्रस्तुत विवाद से संबंधित मजिस्ट्रेट ने ऐसा न करके प्राविधानों का उल्लंघन किया अतः समस्त प्रक्रिया अवैधानिक हो जाती है। माननीय न्यायाधीश ने राम गोपाल त्रिपाठी , जानकी प्रसाद शर्मा रामबक्श मौर्या, मेजर आई.बी.सिंह रमेश चंद निगम लक्ष्मीकांत पाण्डेय, कन्हैया लाल गुप्ता, दुर्गा प्रसाद तिवारी, तारसेननाथ अग्रवाल, अमरेश बहादुर सिंह, मुकेश कक्कड़, प्रभाशंकर अवस्थी, प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव, सुरेन्द्र बहादुर सिंह दाढ़ी को तत्काल प्रभाव से रिहा करने के आदेश दिए। प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी गिरफ्तार कार्यकर्ता गोरखपुर जेल में थे। उनकी रिहाई के आदेश वहां भेजे गए हैं।