रायबरेली:-उच्च शिक्षा व्यवस्था की कमियों को दूर करने को लेकर अधिवक्ता हुए लामबंद जिला अधिकारी के मध्याम से महामहिम राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन विश्वविधालयों में अनियमितता व जातिगत भेदभाव की व्यवस्था का लगाया आरोप अधिवक्ता अखिलेश माही व अधिवक्ता राहुल निर्मल की अगुवाई में लंबन्द हुए अधिवक्ता 8 सूत्री मांगों को लेकर दिया गया ज्ञापन 1.देश भर के विश्वविद्यालयों पर एक विचारधारा को थोपा जा रहा है 2.विश्वविद्यालयों में प्रोफ़ेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया बेहद भेदभावकारी, अपारदर्शी और भ्रष्टाचारी है। 3.केंद्रीय विश्वविद्यालयों के भीतर हर स्तर पर जातिगत, लैंगिक और अन्य कई क़िस्म के शोषण व भेदभाव बदस्तूर जारी हैं, 4.सरकार व एक विचारधारा विशेष के प्रभाव में पाठ्यक्रम बदले जा रहे हैं, 5.अभी हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय से तक़रीबन एक हज़ार से ज़्यादा बेहद प्रतिभावान, अनुभवी शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया है। 6.शिक्षकों को ठेके पर रखकर विश्वगुरु बनने का ख़्वाब देखा जा रहा है 7- सामाजिक न्याय की बात करने वाले दिल्ली यूनिवर्सिटी के जाकिर हुसैन कालेज के प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मन यादव को लगभग 14 साल तक पढ़ाने के बाद भी स्थाई नियुक्ति ना किए जाना अत्यंत दुःखद है, 8- दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलत राम कॉलेज में मनोविज्ञान की तदर्थ प्रोफेसर रितु सिंह को जातिवादी मानसिकता के कारण को हटा दिया गया, उन्हें पुनः नियुक्ति दी जाए! उक्त तमाम विषयों को लेकर बेहद हैं और इसे लेकर आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि तत्काल आप कुछ ठोस क़दम उठाएँ और उच्च शिक्षा को बचाएँ। महामहिम सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति भी हैं और भारत की प्रथम नागरिक भी। हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आप इस बेहद गंभीर मसले को गंभीरता से लें।