मैं , शैलेंद्र प्रताप सिंह , मोबाइल वाड़ी में आप सभी का स्वागत करता हूं । मैं आपको बताऊंगा कि गांव में हो या गलियों में या बाजार में , सड़कें हैं , सड़कों पर लगे नल का पानी सड़कों पर बह रहा है और जिसके कारण वहां लेकिन बड़े - बड़े गड्ढे बन रहे हैं , सड़कें टूट रही हैं , घर के सामने या दुकान के सामने सड़कें टूट रही हैं , विकास की नई तस्वीरें दिखा रही हैं कि गाँव में किस तरह का विकास किया जा रहा है और उस पर कितना पैसा खर्च किया जा रहा है , इसलिए वे टिकाऊ नहीं हैं और कितना ? अगर यह थोपा नहीं जाता है कि यह टिकाऊ हो जाता है , तो ये सभी तस्वीरें दर्शाती हैं कि विकास के नाम पर जो विकास के नाम पर किया जाता है , वह बहुत किया जाता है , लेकिन जो धोखा बाद में किया जाता है वह विनाश में बदल जाता है या जो तस्वीर विकास के बीच में होती है , वह मांगरौरा के सकरा बाजार को अवरुद्ध कर देती है । तस्वीर यह है कि दुकान का अगला हिस्सा दिखाई नहीं दे रहा है और साथ ही सड़क के किनारे गड्ढा पानी से भरा हुआ है , छोटा गड्ढा भरा हुआ है , उसका पानी सड़कों पर बह रहा है और इस बाजार में वह सुविधा नहीं है जो अन्य बाजारों में है । यह छोटा है , लेकिन इसे अभी तक अपने विकास या इसकी संबंधित जरूरतों के लिए आवश्यक अन्य सहायता नहीं मिली है । रात में उच्च मास्क की व्यवस्था करने की कोई सुविधा नहीं है । और यहाँ जो सड़कें हैं वे टूटी हुई और गड्ढों से भरी हुई हैं , चारों ओर एक छोटा सा बाजार है , लोग किसी न किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं , इसलिए सड़कों के किनारे बनने वाला लड़के का पानी सड़कों पर आ रहा है , जिससे सड़कें गड्ढों से भरी हुई हैं , इसलिए यहाँ सब कुछ वही है जो वह है । अपनी बुनियादी सुविधाओं से वंचित और स्थित इस बाजार को अंततः अपनी मूल सुविधा या अपना मूल नाम जो है या मूल स्थान जो है , मिल जाएगा ।

मैं , शैलेंद्र प्रताप सिंह , मोबाइल वडनी में आप सभी का स्वागत करता हूं । आपको बता दें कि गांव की पक्की सड़क धूल में बदल गई है । उस सड़क के एक तरफ गड्ढे हैं और दूसरी तरफ धूल है । आज बहुत विकास हुआ है । कई साल पहले बनी यह सड़क हमारे लिए बहुत उम्मीद लेकर आई थी और यह उम्मीद कुछ साल तक बनी रही , लेकिन आज यह उम्मीद धराशायी हो गई है क्योंकि यह सड़क पक्की थी जो आज टूट गई है । साहब की इस सड़क की क्या स्थिति है ? आज यह दिखाई नहीं दे रहा है । उस पर धूल है और गड्ढे हैं , तो हमारा क्या दोष है ? अगर उनसे पूछने वाला कोई नहीं है , तो हमसे गाँव में बस - रहित स्थिति के बारे में कौन पूछेगा , जहाँ दशकों से सड़कें बनाई गई हैं । लेकिन ऐसा लगता है कि सड़कों की स्थिति पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है । सड़कों की हालत खस्ता है । आम जनता परेशान है । उनके घरों में घूमने का यही एकमात्र तरीका है । लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है । आखिर यह कैसे होगा कि हम गरीब लोगों के आने - जाने की यही एकमात्र उम्मीद है , लेकिन जब बारिश आती है , तो इसकी स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि यह बहुत दूर हो जाती है कि इसका जन्म नहीं हो सकता , आखिर अन्य जिम्मेदार लोग इस पर ध्यान क्यों नहीं देते , हमारी बात क्यों नहीं सुनी जाती ? हम लोगों की यह स्थिति कब तक बनी रहेगी , हमारी बात क्यों नहीं सुनी जाती , क्या हमें सिर्फ अपनी खुशी दिखाने के लिए गरीबों को वोट देने के लिए कहा जाता है या उनके साथ विकास के नाम पर धोखा किया जाता है ।

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मैं शैलेंद्र प्रताप सिंह मोबाइल वाड़ी में आप सभी का स्वागत करता हूं । आपको बता दें कि गांव में बना या लगाया गया सरकारी हैंडपंप टूटा हुआ है , जो बंद पड़ा है और चलने की स्थिति में नहीं है । प्यार में डूबा यह सरकारी हैंडपंप अपनी दुर्दशा बता रहा है कि साहब गांव में पानी की लत से जूझ रहे लोगों के लिए मेरी व्यवस्था की गई थी , लेकिन आज मैं टूटा हुआ और अपंग हूं , तो मैं दूसरों की प्यास कैसे बुझाऊंगा ? बाया कर दो और बहुत सारे हमले किए जाते हैं लेकिन ऐसा नहीं होता है या तस्वीर प्रतापगढ़ के एक विकास खंड मंगरौरा के सकरा बाजार की है , जहां सकरा बाजार में घरों या दुकानों के पास सरकारी हैंडपेपर लगाए जाते हैं । यह क्षतिग्रस्त है , इसमें उसके हाथ नहीं टूटे हैं , यह बंद है , इसकी मरम्मत भी नहीं की गई है , ग्राम प्रधान को भी इसके बारे में सूचित किया गया है , चाहे वह ग्रामीण हो या बाजार का व्यक्ति , लेकिन वे कहते हैं कि ग्राम प्रधान जो कहा जा रहा है उसे सुनने के लिए तैयार नहीं है । तो जैसे लोगों के साथ हमारी दुश्मनी है और हम लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देते हैं , तो मुझे बताइए , श्रीमान , हम कहाँ जाएँ ? हम सुबह से पानी की कमी से जूझ रहे हैं । आप क्यों नहीं सुनते , अभी ग्राम प्रधान हमारे लिए कोई काम नहीं करता है , इसलिए आखिरकार , हम किसके पास जाते हैं और किसके पास जाते हैं , हम अपनी आपात स्थितियों का वर्णन करते हैं और उन्हें भी बताते हैं ताकि जो भी जिम्मेदार हो वह कहे कि हां ठीक हो जाएगा , लेकिन उन्हें ठीक होने में महीनों लगेंगे । लेकिन इसे अभी तक ठीक नहीं किया गया है और न ही ऐसा हुआ है , इसलिए सभी सुविधाओं के होने के बावजूद गांव में विकास की जो हवा चलनी चाहिए थी , वह कहीं न कहीं गलत रास्ते पर चली गई है और आम जनता से लेकर जनता तक जो परेशान हैं , जिम्मेदार लोग अब अपने हाथों में हैं ।

मैं आप सभी का शैलेंद्र प्रताप सिंह मोबाइल वडानी में स्वागत करता हूं । आपको बता दें कि गांव में विकास की नींव पर कुछ काम हुआ था , लेकिन तब से उनकी नींव रखी गई है । ये तस्वीरें बार - बार सामने आती हैं जो बताती हैं कि गाँव की स्थिति क्यों सुधरेगी , जब विकास के नाम पर बजाई जाने वाली ढोल आज कहीं दिखाई नहीं दे रही हैं और तस्वीरें सब कुछ प्रकट करती हैं । वे भी सब कुछ समझा रहे हैं , लेकिन गाँव वालों में भी इसमें कुछ कमी है , जिसके कारण आज यह स्थिति पैदा हो गई है और यह हो रहा है कि गाँव का विकास लगातार नहीं हो रहा है । आखिरकार , इतना पैसा खर्च हो जाता है । वह पैसा कहाँ जाता है , चाहे वह सफाई के नाम पर हो , सड़कों या नालियों के नाम पर हो , गाँव में किसी भी तरह की कार्य योजना आती है , फिर उस पर काम करने के लिए बहुत सारे नियम - कानून बनाए जाते हैं , लेकिन वे सभी खाली रहते हैं । और जिन तस्वीरों से बाद में यह भी पता चलता है कि सभी नियम और कानून एक ऐसा खेल है जो अपनी इच्छानुसार काम करेगा , आम जनता इसके बारे में बहुत परेशान है । मामला विकास खंड मंगरौरा के सकरा गाँव का है , जहाँ गाँव में सड़क किनारे बांध है । यह जो नाला बनाया गया है वह बता रहा है कि इसकी दुर्दशा यह साबित कर रही है कि साहब विकास के नाम पर खोप ढोल बजाया जाता था , पतंगें बजाई जाती थीं , लेकिन सभी को बचाया जाता था और यह गंदगी जो ऐसी गंदगी है कि अब मच्छर चलने लगे हैं । मच्छरों ने इसमें जन्म दिया है और इससे सड़ते पानी की बदबू आ रही है जिससे लगातार बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है । गाँव के लोग इस बात को लेकर आशंकित हैं कि समय क्या होगा और बहुत कुछ हो सकता है । लेकिन वे उनकी देखभाल करने वाले हैं ।

मैं सलेमरताप सिंह , मोबाइल वाणी में आप सभी का स्वागत है , आपको बताएँ कि आखिर गाँव में कचरा क्यों जमा हो रहा है । ग्राम सभा में स्वच्छ भारत मिशन के तहत कचरा दान की व्यवस्था करने के लिए ग्राम प्रधान के खाते में पैसे आए । पैसे भी निकाले गए , लेकिन यहाँ चौराहों पर , शहरों के आसपास की दुकानों के आसपास , कचरे के डिब्बों की व्यवस्था नहीं की गई है , जिससे लोग खुले में कचरा फेंक रहे हैं , इतना ही नहीं , जो लोग कचरा फेंकते हैं या जो प्रदूषणकारी अपशिष्ट पदार्थ है जिसे वे जलाते भी हैं और प्रदूषण भी करते हैं । तस्वीरें यह भी बता रही हैं कि घरों के आसपास कचरा बढ़ रहा है , आखिरकार सबसे बड़ा सवाल यह है कि आम जनता क्यों नहीं जा रही है और इतना ही नहीं , ग्राम पंचायत इस पर काम क्यों नहीं करना चाहती है और करना चाहती है , तो पैसा कहां गया ? इसके लिए इंतजाम किए गए थे । अंत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम सभा के लिए बने कचरे के डिब्बे कहां हैं और आम आदमी ग्राम पंचायत से क्यों नहीं पूछता कि हमारे लिए आए कचरे के डिब्बे और कचरे के पैसे कहां हैं ? जनता भी इस बात पर ध्यान नहीं देती कि प्रावधान कहां है , तो ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत कैसे ध्यान देगी , हर कोई अपने आप में व्यस्त है , जनता पीड़ित है , जनता भी कहीं न कहीं इसके लिए दोषी है और वे भी चाहते हैं कि हम इसे ऐसे ही करते रहें और खबरें बनाते रहें लेकिन इस पर कोई काम नहीं हो रहा है । नहीं , यह प्रतापगढ़ के मझनीपुर गाँव के पास का मामला है , जहाँ तस्वीरों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि घरों के पास धीरे - धीरे जो कचरा इकट्ठा किया जा रहा है , उसे भी जलाया जा रहा है । इसमें कचरा भी फेंका जाता है , जो उनके लिए बहुत हानिकारक होता है । यह जला दिया गया है जिसके कारण यह समय आया है और यह स्थिति पैदा हो गई है , लेकिन साथ ही सवाल यह भी है कि आशीर्वाद कूडन के नाम पर जो पैसा आया था वह गया कहां और अभी तक कूड़ेदान की व्यवस्था क्यों नहीं की गई , आम जनता को परेशान क्यों कर रहा है ।

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कौन है इसका जिम्मेवार,कब खुलेगी नाली।