गर्मी का कहर जो बरस रहा है, लोग कहते हैं कि यह प्रकृति का देन है, लेकिन ऐसा नहीं है। हमने जो बीज बोये हैं वो ही आज अंकुरित हो रहे हैं। क्योंकि जब हमने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, जब हमने पेड़ों को नुकसान पहुंचाया है, तो प्लास्टिक की जितनी मात्रा का हमने दुरुपयोग किया है, आज हमारे पास जो पर्यावरण है वह नष्ट हो गया है। यह संतुलन में नहीं है और गर्मी का इतना प्रकोप है कि लोग घर से बाहर निकलने के लिए दूभर हैं