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उत्तरप्रदेश राज्य के फतेहपुर जिले केराहुल कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की बीमारियों को दूर करने के लिए बनी दवाएं आप को दूसरी गंभीर बीमारियों की जद में ले रही हैं। बिना डाक्टर के परामर्श के मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खा रहे लोग बीमारियों को न्योता दे रहे हैं। अंधेर यह है कि तमाम नियम कानून होने के बावजूद स्टोर्स से खुलेआम नशे वाली दवाएं बिना डाक्टर के पर्चे पर बेची जा रही हैं। बुधवार को ड्रग इंस्पेकटर ने मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी कर भारी मात्रा में गड़बड़ियां पकड़ी हैं। सभी को नोटिस की कार्रवाई की गई है। बुधवार दोपहर जिला अस्पताल के नजदीक स्थित मेडिकल स्टोर्स पर डीआई के छापेमारी की कार्रवाई शुरू हुई तो संचालकों में हड़कंप मच गया। कई संचालकों ने स्टोर से एनआरएक्स श्रेणी की दवाओं को छिपा दिया। रजिस्टर मेनटेन करना शुरू कर दिया। कार्रवाई के दौरान डीआई ने रजिस्टर की चेकिंग की। स्टोर में उपलब्ध दवाओं का रजिस्टर से मिलान किया जिसमें भारी अनियमिता मिली। एनआरएक्स श्रेणी की दवाओं की बिक्री पर संचालकों से संबंधित डाक्टरों के पर्चे, नाम आदि की डिटेल मांगी जो संचालक उपलब्ध नहीं करा पाए। किडनी, लीवर डैमेज कर सकती हैं ऐ दवाएं कुछ दवाओं को एनआरएक्स श्रेणी में रखा गया है। इन दवाओं के साइड इफेक्ट के चलते यह दवा मेडिकल स्टोर्स पर बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं बेची जा सकती है। यानी, दवा के पैकेट पर एनआरएक्स लिखा है तो यह डॉक्टर के पर्चे के बगैर नहीं दी जा सकती है। ऐसी दवाओं का दुरुपयोग नशे के लिए भी किया जाता है और इसके ओवर डोज से किडनी-लिवर तक डैमेज हो सकते हैं। नियम विरुद्व बिक रहीं एनआरएक्स श्रेणी की दवाएं डीआई की छापेमारी से मचा हड़कंप, पकड़ी अनिमितता मेडिकल स्टोर्स पर नियमित चेंकिग की जाती है। चेंकिग के दौरान प्रकाश मेडिकल स्टोर में बड़ी मात्रा में अनियमिता मिली है। नोटिस की कार्रवाई की गई है। निरीक्षण कार्रवाई लगातार चलती रहेगी। -राहुल कुमार, डीआई

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जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। इस बारे में श्रोताओं की क्या राय है, चलिए सुनते हैं. इस बारे में बचपन मनाओ... सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.

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जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.

फतेहपुर, । जिला अस्पताल में स्थापित ब्लड बैंक में रक्त की कमी से जूझ रहा है। 350 यूनिट की क्षमता वाले ब्लड बैंक में मात्र 26 यूनिट ब्लड से मरीजों की टूटती सांसो को बचाने की जद्दोजहद की जा रही है। ब्लड बैंक में रक्त की कमी का प्रमुख कारण दानदाताओं का अभाव है। सबसे बड़ी समस्या दुर्लभ श्रेणी के रक्त की है। एबी निगेटिव रक्त समूह का एक भी यूनिट ब्लड बैंक में नहीं है। एक निजी संस्था की तरफ से आयोजित हुए शिविर में पांच 14 रक्तदाताओं ने खून दिया था। जिला अस्पताल में ब्लड बैंक सही मायने में जीवनदायिनी साबित हो रहा था। लेकिन पिछले कुछ माह से रक्तदाताओं की कमी के चलते ब्लड बैंक में क्षमता का दस फीसदी रक्त भी नहीं है। जिले में समाजसेवा के नाम चल रहे दो दर्जन से ज्यादा सामाजिक संगठन भी रक्तदान कैंप के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। सर्दी के मौसम में रक्तदान में कमी हो जाती है। इस समय रक्त की मांग भी कम है। हम लोग जिले के डोनर ग्रुप, निजी रक्तदाता और संस्था से लगातार संपर्क कर कैंप आयोजित कराने का प्रयास कर रहे हैं। -डॉ. वरद वर्धन विसेन, विभागाध्यक्ष