फतेहपुर, संवाददाता। सर्दी संग बदली के मौसम से होने वाली नमी के चलते आलू की पिछेती फसल पर झुलसा रोग का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जिससे किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ता है। जिससे फसल की पैदावार भी प्रभावित हो रही है। फसल को बचाए जाने के लिए किसानों को रोग से बचाव के गुर बताए गए है। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि आलू की फसल के बेहतर उत्पादन के लिए कीट एवं रोगों का उचित समय पर नियंत्रण आवश्यक है। आलू की फसल पिछेता झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील होती है। बताया कि बदली के साथ ही नम वातावरण में पिछेता झुलसा रोग का प्रकोप भी तेजी से बढ़ जाता है। जिससे बचने के लिए रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। बताया कि झुलसा रोग के प्रकोप से आलू की फसल को क्षति होने से रोकने के लिए किसान मैन्कोजेब, प्रोपीनेट, क्लोरोथेलोनील युक्त फफूंदनाशक दवा का नियमित मात्रा में पानी के साथ घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना सुनिश्चित करें। वहीं जो खेत बीमारी की चपेट में आ चुके है। उनमें भी दवा का छिड़काव करने से बचाया जा सकता है। इस दौरान फफूंदनाशक का बार-बार छिड़काव न किया जाए।