फतेहपुर। सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ किस तरह से लोगों को मिल रहा है। पात्र उसका लाभ लेकर कितना सुकून महसूस कर रहा है। समाज में गरीबों की तस्वीर देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जैसे उक्त फोटो को देखकर कोई भी अन्दाजा लगा सकता है कि एक वृद्ध महिला हाथ ठेले पर फल बेच रही है और उसी पर घर का चूल्हा जलाने के लिए बिनी हुई लकड़ियों का गठ्ठर भी रखे हुए है। इसे आप नारी सशक्तिकरण भी कह सकते हैं। लेकिन अगर यह नारी सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर होने की बात है तो फिर सरकारों को जनकल्याणकारी योजनायें चलाने की आवश्यकता ही क्या है ? ईश्वर ने जिसे दुनिया में पैदा किया है वह स्वयं ही अपने लिए किसी न किसी तरह से सभी व्यवस्थायें कर ही लेता है। यदि आज भी पात्रों को ढूंढने निकलेंगे तो कोई न कोई बिना किसी योजना के ही अपना जीवन गुजारते मिल सकता है।