फतेहपुर, । मोबाइल ट्रैकिंग के जरिए अपराधियों तक आसानी से पहुंचने वाली खाकी के सामने इंटरनेट कॉल बड़ी मुसीबत बन रही है। वारदातों के दौरान वाई-फाई से इंटरनेट कॉल का प्रयोग करने वाले शातिरों की लोकेशन ट्रेसकर उन तक पहुंचना पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। यह कहना गलत न होगा कि इस इंटरनेट वाले युग में पुलिस के साथ अपराधी भी हाईटेक हो गए हैं। बड़े शहरों के बाद छोटे शहरों के अपराधी भी वारदातों के दौरान हाईटेक तकनीक का प्रयोग कर कर रहे हैं। दोआबा में हत्या, लूट, चोरी और साइबर अपराध के अनगिनत मामलों का खुलासे अधर में हैं। बड़े अपराधी वारदात के समय मोबाइल का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। अगर वे ऐसा करते भी हैं तो इंटरनेट कॉलिंग करते हैं। अपराधी जानते हैं कि इंटरनेट कॉल से पुलिस लोकेशन ट्रेस नहीं कर सकती। वे मोबाइल का प्रयोग करते भी हैं तो पुलिस को गुमराह करने की पूरी कोशिश की जाती है, ताकि मोबाइल की लोकेशन कहीं और की आए। कई मामलों में साबित हो चुका है कि अपराध दूसरे स्थान पर घटित होता है और वहां की लोकेशन सामने नहीं आती है। कॉल की लोकेशन ट्रेस कर आसान नहीं दरअसल इंटरनेट काल की लोकेशन ट्रेस करना मुश्किल होता है। अधिकारी भले ही यह दावा करें कि काल ट्रेस करना आसान है लेकिन पुलिस से जुड़े लोग ही बताते हैं कि इंटरनेट से की गई कॉल को ट्रेस करना आसान नहीं होता है। ट्रेस होने में महीनों सालों का समय लग जाता है। कई खुलासे इसीलिए अभी भी अटके हुए हैं।