युपी फतेहपुर।कभी जंगलो में रहकर फल, फूल व पत्तियां खाकर जीवन यापन करने वाले बंदरों ने अब कंक्रीट के जंगल (शहर) की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। पेड़-पौधों से मिलने वाला भोजन समाप्त होने पर बस्तियों में पहुंचे बंदर हमलावर होकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। शहर से लेकर ग्रामीणांचलों तक बंदरों के आतंक के कारण लोग खासे हलकान हैं। दिनों दिन ग्रामीणों द्वारा शहर की ओर पलायन किए जाने के साथ ही बढ़ती आबादी के कारण दिनों दिन पेड़ों पर आरे चल रहे हैं। वहीं लकड़ी माफिया द्वारा जंगलों को उजाड़ा जा रहा है। जिससे जंगल में रहने वाले बंदरों का पलायन बस्तियों की ओर होने लगा है। शहर में सबसे अधिक बंदरों का आतंक रेलवे स्टेशन के आसपास रहता है। ऐसे में राहगीरों संग यात्रियों की क्या मजाल जो खुली खाद्य सामग्री लेकर आसानी से निकल सकें। रेलवे स्टेशन पर बंदरों के आतंक के कारण यात्रियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार बंदरंो द्वारा यात्रियों के सामान को उठा लिया जाता है। इस दौरान बंदरों को मारना या भगाना भी यात्रियों पर भारी पड़ता है। वहीं खागा में भी घनी बस्तियों में बंदरों के आतंक के कारण लोग बच्चों को बाहर तक नहीं जाने देते। ऐसा ही हाल बिंदकी तहसील का भी है। जहां बंदरों के आतंक के कारण यहां के लोगों को परेशानियां उठानी पड़ती है। ग्रामीणांचलो में तो बंदरों के आतंक के कारण कई लोग चुटहिल हो चुके हैं। वहीं बंदरों के दौड़ाने पर लोगों की जान तक जा चुकी है। इसके बावजूद नगर पालिका व नगर निगम द्वारा बंदरों को पकड़वाए जाने के लिए महज एक्सपर्ट की टीम न होने का रटा-रटाया जवाब दे दिया जाता है। जिससे लोगो की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही है। डीएफओ रामानुज त्रिपाठी ने बताया कि बंदरोंको वाइल्ड लाइफ से बाहर कर दिया गया है जिसके बाद इनको पकड़ने की जिम्मेदारी नगर पालिका व नगर पंचायत की है।