भाटपार रानी,देवरिया: गांव स्तर पर यूपी पुलिस के आंख-कान चौकीदारों को अब रात में गश्ती के दौरान अब किसी प्रकार की दिक्कत नही होगी।इसके लिए श्रीरामपुर पुलिस ने चौकीदारों को लाल सांफा,साइकिल व टॉर्च के साथ लाठी देकर सम्मानित किया। इसके लिए श्रीरामपुर थानाक्षेत्र में दर्जनों गांवों के चौकीदारों को चयनित किया गया था। गांव के सूचनाओं को थाने तक पहुंचाने के लिए गांव के ही एक व्यक्ति को बतौर चौकीदार रखा जाता हैं। यह व्यवस्था लंबे समय के शासन काल से चला आ रहा हैं।इधर कुछ समय से जिम्मेदारों की उदासीनता से चौकीदारों की सक्रियता कम हो गई थी। ऐसे में पुलिस अधिकारी उनकों पुनः सक्रिय करने में जुट गए हैं।श्रीरामपुर के प्रभारी थानाध्यक्ष कल्याण सिंह सागर के हाथों देहात क्षेत्र के चौकीदार संतोष कुमार तिवारी,राजेंद्र प्रसाद,बब्बन यादव,पशुराम सहित अन्य दर्जनों चौकीदारों को लाल सांफा व अन्य सामानों को देकर उन्हें सम्मानित किया गया।इस दौरान दीवान व एसआई राधेश्याम सहित अन्य पुलिसकर्मी गण मौजूद रहे।

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टनल से मजदूरों को बाहर निकालने में लगे 17 दिनों में हर बार की तरह इस बार भी नेताओं से लेकर मीडिया का भारी जमावड़ा आखिरी दिन तक लगा रहा, जो हर संभव तरीके से वहां की पल पल की जानकारी साझा कर रहे था। इन 17 दिनों में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हो गए, क्रिकेट विश्वकप का आयोजन हो गया,

देवरिया: सुरक्षा के लिए बनाए गए रेलवे फाटक की अहमियत को दरकिनार कर लोग फाटक बंद होने के बावजूद अपनी जान जोखिम में डालकर दुपहिया वाहन को फाटक पार करा रहे हैं। इन लोगों को न अपनी जान की परवाह है और न ही पुलिस का डर। भाटपार रानी नगर के बेलपार ढाले पर आए दिन इस प्रकार का माजरा देखने को मिलता है। रेलवे के कर्मचारी रेल आने पर फाटक को बंद तो कर देते है। लेकिन दोपहिया वाहन जल्दबाजी में अपनी जान को जोखिम में डालकर बंद फाटक के नीचे से रेलवे लाइन पार करने से बाज नहीं आते। लोग अपनी जान व नियमों को ताक पर रखकर बिना किसी भय के बंद फाटक को पार करते रहते है।

सरकारी संस्था आईसीएमआर के डाटाबेस में सेंध लगाकर चुराया गया 81 करोड़ लोगों का डाटा इंटरनेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डाटा में लोगों के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी, पासपोर्ट, नाम, फ़ोन नंबर, पते सहित तमाम निजी जानकारियां शामिल हैं। यह सभी जानकारी इंटरनेट पर महज कुछ लाख रुपये में ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसे डाटा लीक के इतिहास का सबसे बड़ा डाटा लीक कहा जा रहा है, जिससे भारत की करीब 60 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी।