साथियों, हमें बताएं कि क्या आपके क्षेत्र के सरकारी जिला अस्पतालों, उपस्वास्थ्य केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनबाडी में पानी की कमी है? क्या वहां प्रशासन ने पानी की सप्लाई व्यवस्था दुरूस्त नहीं की है? अगर अस्पताल में पानी नहीं मिल रहा है तो मरीज कैसे इलाज करवा रहे हैं? क्या पानी की कमी के कारण बीमार होते हुए भी लोग इलाज करवाने अस्पताल नहीं जा रहे? या फिर आपको अपने साथ घर से पानी लेकर अस्पताल जाना पड़ रहा है? अपनी बात अभी रिकॉर्ड करें, फोन में नम्बर 3 दबाकर.

उत्तरप्रदेश राज्य के देओरीया जिला के भाटपारणी प्रखंड से पुनीत कुमार पाण्डेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि गाँव में छोटे बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए खोले गए देवरिया आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की अच्छी देखभाल के लिए उनका पोषण पर्याप्त नहीं है । इन केंद्रों की इमारतें अब जर्जर अवस्था में हैं । बिजली नहीं है और शौचालयों की कमी है । कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । माता - पिता भी अपने छोटे बच्चों के बारे में चिंतित हैं ।

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सीडीओ ने नवनिर्मित आंगनबाड़ी केंद्र भवन का किया निरीक्षण दिए आवश्यक निर्देश

देवरिया: लार विकास खंड के ग्राम पंचायत चनुकी के आंगनबाड़ी भवन के सामने से सड़क गुजरता है और वही पर इंडिया मार्का हैंडपंप भी वर्षो पूर्व का लगा हैं। जिसके जल निकासी की सम्पूर्ण उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण गड्डे में नाली के पानी का जमावड़ा बना रहता है।जिन कारणों से आंगनबाड़ी भवन के गंदगी फैली रहती है और उसी में बच्चों का खेलना कूदना भी लगा रहता है। जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और जिम्मेदार इसपर कोई ध्यान नहीं दे रहे है।

दोस्तों किसी शायर ने क्या खूब कहा है? न रोने की वजह थी, न था हंसने का बहाना. खेल खेल में कितना कुछ सीखा, कितना प्यारा था वो बचपन का ज़माना. काश, लौट आए फिर से वो कल सुकून भरा बचपन मनाएं हर पल. सच में कितने मज़ेदार थे ना वह बचपन के दिन? चलिए एक बार फिर से उन्हीं दिनों को जीने की कोशिश करते हैं अपने बच्चों के संग उनके बचपन को एक त्यौहार की तरह मनाते हुए हंसते हुए, खेलते हुए, शोर मचाते बन जाते हैं उनके दोस्त और जानने की कोशिश करते हैं इस बड़ी सी दुनिया को उनकी नन्ही आंखों से और बचपन के उन प्यारे जनों को याद करने में आपका साथ देंगे बचपन बनाओ और मोबाइल वाणी की टीम .घर और परिवार ही बच्चों का पहला स्कूल है और माता पिता दादा दादी और अन्य सदस्य होते हैं उनके दोस्त और टीचर हो. साथ में ये भी कि बच्चों के दिमाग का पचासी प्रतिशत से अधिक विकास छह वर्ष की आयु तक हो जाता है. तो अगर ये कीमती साथ हमने गवा दिए. तो उनके भविष्य को उज्जवल बनाने का मौका हम खो देंगे. अब यह सब कैसे सही रखें? इसके लिए आपको सुनने होंगे हमारे आने वाले एपिसोड तब तक आप हमें बता सकते हैं कि किस तरह के देखभाल से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास सही रह सकता है. इससे जुड़ा अगर आपका कोई सवाल है या कोई जानकारी देना चाहते हैं तो रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नंबर 3 . सुनते रहिए कार्यक्रम बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ.