सलेमपुर,देवरिया । सनातन धर्म व संस्कृति का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इसी दिन ग्रहों के राजा भगवान सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।उक्त बातें बताते हुए आचार्य अजय शुक्ल ने कहा कि सूर्य के एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं।एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय ही सौर मास है।ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि देव से मिलने स्वयं उनके पास जाते हैं।चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अतः इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।इस त्योहार के दिन ब्रम्हबेला में उठकर पानी मे गंगा जल और काला तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए।मान्यता है कि इस दिन जल में काला तिल मिलाकर स्नान करने से शनिदेव बेहद प्रसन्न होते हैं।साधक को सात अश्वमेध यज्ञ का पुण्य फल प्राप्त होता है।स्नान करने के बाद पवित्र होकर भगवान सूर्यदेव को अर्ध देना चाहिए।इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए काले रंग के वस्तुओं व सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए लाल चीजों का दान करना चाहिए।देश के विभिन्न क्षेत्रों में यह त्योहार कई तरह से मनाया जाता है, गुजरात व अगल बगल के प्रांतों में इस दिन पतंगबाजी की जाती है। इस दिन खरमास समाप्त हो जाता है, सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के मांगलिक कार्य भी इस दिन से प्रारंभ हो जाते हैं।