राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानि की NCRB के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में 23,178 गृहिणियों ने आत्महत्या की थी। यानी देशभर में हर दिन 63 और लगभग हर 22 से 25 मिनट में एक आत्महत्या हुई है। जबकि साल 2020 में ये आंकड़ा 22,372 था। जितनी तेज़ी से संसद का निर्माण करवाया, सांसद और विधायक अपनी पेंशन बढ़ा लेते है , क्यों नहीं उतनी ही तेज़ी से घरेलु हिंसा के खिलाफ सरकार कानून बना पाती है। खैर, हालत हमें ही बदलना होगा और हमें ही इसके लिए आवाज़ उठानी ही होगी तो आप हमें बताइए कि *---- आख़िर क्या वजहें हैं जिनके कारण हज़ारों गृहणियां हर साल अपनी जान ले लेती हैं? *---- घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए ? *---- और क्या आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा को होते हुए देखा है ?

भारत में हर पाँच मिनट पर घरेलू हिंसा की एक घटना रिपोर्ट की जाती है। नेशनल फैमिली हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार सख्त घरेलू हिंसा कानून- 2005 होने के बावजूद देश में हर तीन महिलाओं में से एक महिला घरेलू हिंसा की शिकार हैं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 79.4% महिलाएं कभी अपने पति के जुल्मों की शिकायत ही नहीं करती। दोस्तों, हर रोज महिलाओं के खिलाफ जुर्म बढ़ रहे हैं , क्या अब हमारी संस्कृति को ठेस नहीं पहुंच रही , जिस पर इतने डींगे हाँकते है ? समाज में उत्पीड़न, शोषण और हिंसा का निरंतर बढ़ता ग्राफ अब बढ़ता ही जा रहा है। और जिस पर हमें अपनी चुप्पी तोड़नी ही होगी। हमें इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठानी ही होगी।

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और हिंसा के बारे में।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला अमेठी से एम पी मिश्रा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि घरेलू हिंसा समाज केलिए एक कंलक है। कई महिलाएं घरेलु हिंसा का शिकार होती है। वह सामाजिक भेद भाव के कारण वह कानून का सहारा भी नहीं ले पाती है। घरेलु हिंसा को रोकने के लिए हमें शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। दहेज़ के कारण ससुराल में महिलाओं के साथ हिंसा होती है।अगर संतान नहीं हो रही है तो इसके कारण भी महिलाओं को ससुराल में प्रताड़ित किया जाता है। अगर हिंसा से मुक्ति पाना है तो शिक्षा और रोजगार पर ध्यान देना चाहिए। महिलाओं को हिंसा से बचने के लिए कानून का सहारा लेना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के अमेठी ज़िला से प्रवीण यादव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से समाजसेवी गुंजन सिंह से बात हो रही है। ये कहती है कि ससुराल में महिलाओं को बहुत दिक्कत होता है। सास और बहु का रिश्ता अच्छा नहीं होने से हिंसा बढ़ता है। इस मामले में एक बहु को सास को सम्मान और माँ के सामान दर्जा देना चाहिए साथ ही सास को भी बहु के प्रति सजग रहना होगा और बेटी के रूप में दर्जा दें। सास - बहु का सम्बन्ध अच्छा होगा और आपसी सामंजस्य बना कर रखने से महिला हिंसा रुकेगी

उत्तरप्रदेश राज्य के अमेठी ज़िला से प्रवीण यादव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से अधिवक्ता उषा यादव से बात हो रही है। ये कहती है कि शिक्षा के अभाव के कारण महिला हिंसा की शिकार हो रही है। अगर महिलाएं शिक्षित हो जाएगी तो घरेलु हिंसा से बच जाएगी। साथ ही नशीले पदार्थ में रोक लगानी ज़रूरी है। क्योंकि नशा घर में हिंसा ले कर आता है। नशा मुक्ति होना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा शिक्षा का प्रचार हो ,ताकि महिलाएँ घरेलु हिंसा से बच सके। महिलाएं जो भी कोर्ट आती है ,उन्हें मदद मिलती है। महिलाओं के लिए महिला आयोग और कई ऐसे पोर्टल है जो महिलाओं की मदद करते है

घरेलू हिंसा सभ्य समाज का एक कड़वा सच है।आज भले ही महिला आयोग की वेबसाइट पर आंकड़े कुछ भी हो जबकि वास्तविकता में महिलाओं पर होने वाली घरेलु हिंसा की संख्या कई गुना अधिक है। अगर कुछ महिलाएँ आवाज़़ उठाती भी हैं तो कई बार पुलिस ऐसे मामलों को पंजीकृत करने में टालमटोल करती है क्योंकि पुलिस को भी लगता है कि पति द्वारा कभी गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देना या पिता और भाई द्वारा घर की महिलाओं को नियंत्रित करना एक सामान्य सी बात है। और घर टूटने की वजह से और समाज के डर से बहुत सारी महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकायत दर्ज नहीं करतीं। उन्हें ऐसा करने के लिए जो सपोर्ट सिस्टम चाहिए वह हमारी सरकार और हमारी न्याय व्यवस्था अभी तक बना नहीं पाई है।बाकि वो बात अलग है कि हम महिलाओं को पूजते ही आए है और उन्हें महान बनाने का पाठ दूसरों को सुनाते आ रहे है। आप हमें बताएं कि *-----महिलाओं के साथ वाली घरेलू हिंसा का मूल कारण क्या है ? *-----घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें अपने स्तर पर क्या करना चाहिए? *-----और आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा होती देखी तो क्या किया?

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे यौन हिंसा के बारे में।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.