उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को पराली जलानें से होने वाली क्षति के बारे में गांव गांव जाकर प्रचार गाड़ी के जरिए किसानों को जागरूक करने की पहल कर रही हैं सरकार ने बाकायदा कृषि विभाग के अधिकारी की ड्यूटी लगाकर गांव गांव जाकर किसानो के साथ बैठक कर धान की पराली जलानें के लिए सख्त निर्देश भी दे रहे हैं कृषि विज्ञान केन्द्र हैदरगढ़, कृषि विज्ञान केन्द्र कठौरा के कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक भी पराली जलानें वाले किसानों को सख्त निर्देश दें रहें हैं कि फसल के अवशेष जलानें से पर्यावरण प्रदूषित होता है तथा खेत के केंचुआ भी मर जाते हैं, जमीन में लाभदायक जीवाणुओं की क्रिया शीलता भी कम हो जाती है और फसलों की पैदावार में कमी आती है कृषि अधिकारी उत्तम कुमार सिंह ने किसानों को बताया कि फसल के अवशेष जलानें की बजाय उससे खाद तैयार करें खेतों में पानी लगाकर डी कंपोजर डालकर उसे सड़ायें और खाद बनाए उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा जिले में निराश्रित गोवंश गौशाला में पराली दो खाद लो अभियान भी संचालित किया जा रहा है दो टाली पराली देने पर एक टाली गोबर की खाद भी दी जाती है जिसे किसान निःशुल्क प्राप्त कर सकते हैं फसल अवशेष जलाना राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा 24--26 के अंतर्गत खेतों में पराली जलाना एक दंडनीय अपराध है जिसमें दो एकड़ भूमि से कम क्षेत्र के लिए पच्चीस सौ रुपए,दो से पांच एकड़ से कम क्षेत्र के लिए पांच हजार रुपए, पांच एकड़ से कम क्षेत्र के लिए पंद्रह हजार रुपए जुर्माना लगाया जाएगा और पुनरावृत्ति करने पर कारावास और अर्थदंड से दंडित किया जाएगा।