चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं और इनका महत्व तभी है, जब वे निष्पक्ष तरीके से हों और इसमें शामिल होने वाले हर दल, हर व्यक्ति को समान अवसर उपलब्ध कराए जाएं, जिससे किसी को यह न लगे की उसके साथ भेदभाव किया गया है। चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भारत में अलग से एक संस्था बनाई गई है, जिसे चुनाव आयोग के नाम से जाना जाता है। आजादी के बाद से अब तक इसे एक निष्पक्ष इकाई के तौर पर ही माना जाता रहा है। एक समय था जब, पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन आयोग की ईमानदारी का दूसरा नाम बन गये थे। लेकिन अब उसकी निष्पक्षता को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। चयन प्रक्रिया में बदलाव के लिए पेश किया गया विधेयक कानून बनता है तो सोचिए कि देश में न्यायपूर्ण और स्वतंत्र चुनाव करवाना संभव हो पाएगा? चुनाव आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया को बदलकर सत्तारूढ़ दल चुनाव को अपने पक्ष में मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं? इसके अलावा ऐसा करने के अलावा और क्या मंशा हो सकती है? इस बारे में ताज़ा जानकारी के लिए सुनें हमारा कार्यक्रम, 'पक्ष और विपक्ष'। और हाँ, कार्यक्रम के अंत में अपनी राय रिकॉर्ड करना ना भूलें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3 जरूर दबाएं.