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केसठ। प्रखंड के कन्या प्राथमिक विद्यालय में नामांकित बच्चों को सरकार के प्राप्त स्कूल बैग,कॉपी, ड्राइंग कीट समेत अन्य सामग्री का मंगलवार को वितरण किया गया। इसका शुभारंभ मनोज कुमार ने किया।इस दौरान एक सौ से अधिक बच्चों को स्कूल बैग समेत अन्य कीट का वितरण कर विद्यालय में प्रतिदिन उपस्थित होने के लिए प्रोत्साहित किया गया। श्री कुमार ने कहा कि बच्चों को शिक्षा के प्रति लगाव हो, इसके लिए बच्चों को बैग, कॉपी ड्रॉइंग कीट समेत अन्य सामग्री सरकार के तहत मुहैया कराई जा रही है, ताकि बच्चों को पढ़ाई करने में कोई परेशानी नहीं हो।वही बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा सके। इस दौरान बच्चे बैग कीट पाकर खुश दिखे। इस मौके पर राजू कुमार पांडेय, अलाउद्दीन अंसारी, सरोज कुमारी, रीता कुमारी, अंजू कुमारी समेत अन्य लोग मौजूद थे।

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2016 में 14% छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर थे जो कि देश में 2023 में भयानक सुधार होने के बाद भी अब मात्र 13.2 फीसद बाहर हैं ... 2016 में 23.4 फीसद अपनी भाषा में कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पाते थे आज 2023 में अति भयानक सुधार के साथ ये आंकड़ा 26.4 प्रतिशत है ... देश के आज भी 50 फीसद छात्र गणित से जूझ रहे हैं ... मात्र 8 साल में गणित में हालात बद से बदतर हो गए ... 42.7% अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं... अगर आप सरकार से जवाब माँगिए , तो वे कहती है कि वो लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन असर की रिपोर्ट बताती है कि ये बैठकें कितनी बेअसर हैं... तो विश्व गुरु बनने तक हमें बताइये कि *-----आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? *-----वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? *-----और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ?

शिक्षा का मंदिर और बढ़ता यौन शोषण लगातार देखा जा रहा है कि पूरे देश में शिक्षा का मंदिर और बढ़ता यौन शोषण को लेकर लगातार बावले होते आ रहा है बहुत सारे ऐसे कैसे से जो सुनवाई हो रहा है और बहुत ऐसे किस से जो अभी डायल हो रहे हैं उसी क्रम में शिक्षा का मंदिर और बढ़ता एवं शोषण को लेकर के हमारे साथ पृथ्वी कर बात रख रहे हैं कुछ खास बातचीत में उन्होंने बहुत कुछ बताया आप इसको जरूर सुने हमारा टोल फ्री नंबर है 9266618444 इस पर कॉल करें और पूरी जानकारी प्राप्त करें

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हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?