सुनिए एक प्यारी सी कहानी। इन कहानियों की मदद से आप अपने बच्चों की बोलने, सीखने और जानने की क्षमता बढ़ा सकते है।ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार कहानी, तो रिकॉर्ड करें फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

नमस्ते , मैं संजीत विजय हूँ , आप बॉक्सर मोबाइल वाणी सुन रहे हैं , आज हम अकबर और बीरबल के किसा को सुनेंगे , एक दिन कोर्ट में बैठने के दौरान दाढ़ी के कितने बाल झड़ गए थे । आपने एक - दो बार छुआ होगा , तो क्या आप बता सकते हैं कि आपकी पत्नी के हाथ में कितने पक्षी हैं ? बीरबल यह सुनकर हैरान रह गए क्योंकि उन्होंने कभी अपने हाथ में पक्षियों को नहीं गिना था और न ही उन्होंने झूठ बोला था । कुछ देर सोचने के बाद बीरबर ने कहा , " मेरे हाथ को मेरी पत्नी का हाथ दिन में कई बार छूता होगा , लेकिन आपका हाथ आपकी दाढ़ी है । " दिन में पाँच बार तक , दिन में दो या चार बार , आप बता पाएंगे कि आपकी दाढ़ी पर कितने बाल हैं । यह कहना कि दाढ़ी गिनना मुश्किल है लेकिन हाथ की चूड़ियों को गिनना संभव है , मुश्किल है , जहां महिलाएं अपनी पसंद के अनुसार एक कम या एक अधिक पक्षी पहनती हैं , इसलिए एक निश्चित राशि होती है । गन्ना के बिना यह कहना असंभव है , ठीक है आप हर दिन जन जनाना में खाने के लिए जाते हैं , आपको ऊपर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं , क्या आप बता सकते हैं ? यह सुनकर कि रास्ते में सीढ़ियाँ हैं , कितनी सीढ़ियाँ हैं , कितनी खराब हैं , उन्होंने कहा कि उन्हें कभी गिनने का मौका नहीं मिला । अगर संख्या नहीं दी गई होती , तो पक्षियों की संख्या कैसे बताऊं , अगर चींटियों की गिनती की जा सकती थी , तो हम पक्षियों के दोषी होते , लेकिन जब उनका गन्ना उगाना असंभव था , तो चूड़ियों को कैसे गिनें ।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है,कि किसी के किए गए उपकार को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।

कार्यक्रम बदलाव का आगाज़ जेंडर के नाम पर होने वाली हिंसा के खिलाफ 16 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में आपका स्वागत है।लड़कियों के मन में शादी को ले कर उलझन और उत्साह दोनों तरह की भावनायें होती हैं। कई तरह के सवाल भी होते हैं। आईये सुनते हैं इस कड़ी में रेखा की आपबीती।

साथियों, आपने वो कहानी तो सुनी ही होगी कि एक लकड़ी को तो कोई भी तोड़ सकता है लेकिन लकड़ियों के बंडल को तोड़ना आसान नहीं है.. कई मुश्किलें ऐसी होती हैं जिन्हें अकेले से ज़्यादा कई लोग मिलकर हल कर सकते हैं. जी हाँ यही है एकता की ताकत. इसी ताकत को आप तक पहुंचा रहे हैं हम अपने कार्यक्रम बदलाब का आगाज़ के ज़रिये, इसमें 16 दिनों तक बातें होंगी हिंसा के खिलाफ सक्रियता को लेकर।

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दोस्तों, बचपन मनाओं, बढ़ते जाओ और मोबाइल वाणी लेकर आ रहे है आपके बच्चों के लिए हंसती, गुदगुदाती, नन्ही कहानियां। इन कहानियों की मदद से माता-पिता, दादा-दादी, भैया-दीदी और परिवार के सभी लोग अपने नन्हे- मुन्नों की बोलने-सीखने और जानने की क्षमता बढ़ा सकते है। सुनना न भूलिये, नन्ही कहानियां, हर गुरुवार शाम 7 बजे मोबाइल वाणी पर। और हाँ, आप भी बच्चों को सुना सकते है कोई नन्ही कहानी, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।