दोस्तों, भारत में केवल 28 प्रतिशत महिलाओं को जमीन में हिस्सेदारी मिली हुई है। खेतीहर भूमि में तो यह और भी कम महज 11 प्रतिशत महिलाओं की हिस्सेदारी है। जबकि खेती का 80 प्रतिशत काम महिलाओं के द्वारा ही किया जाता है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जमीन पर अधिकारों तो दूर की बात है, महिलाओं को किसान ही नहीं माना जाता है। ग्राणीण इलाकों में किसान के तौर अभी भी पुरुषों की पहचान बनी हुई है। *------ महिलाओं को अधिकार न दिये जाने के मसले पर आप क्या सोचते हैं, *------ क्या आपको भी लगता है महिलाएं अभी भी पिछ़ड़ी हुई हैं? या फिर वह अभी भी स्वतंत्र निर्णय ले पाने की स्थिति में नहीं ले सकती हैं। *------ महिलाओं को भूमि अधिकार मिलने से उनके जीवन स्तर और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में क्या सुधार हो सकता है? *------ महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों के राह में क्या -क्या बाधाएं हैं और इन्हें कैसे दूर किया जा सकता है? *------ महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या- क्या तरीके प्रभावी हो सकते हैं?