हमें स्कूलों में पढ़ाया गया है सौंर मंडल में ग्रह, उपग्रह और तारे किस तरह विद्यामान है। लेकिन ज्योतिष में जो 9 ग्रह रखे जाते है उस में तारे, ग्रह व उपग्रह सभी को एक ही श्रेणी में रखा गया है, यानी ग्रह ही दर्शाया गया है। ज्योतिष सही होगा तो फिर हमें स्कूलों में गलत पढ़ाया गया होगा या फिर स्कूल में सही पढ़ाया गया है तो फिर ज्योतिष गलत है। स्कूलों में वैज्ञानिक तत्थों के आधार सौंर मंडल पढ़ाया गया ऐसे में ज्योतिष में गलत ढंग से ग्रहों का उल्लेख किया गया है। ........ जरा सोचे बीते वर्षों में जिन नए ग्रहों की खोज हुई ज्योतिष में उसे क्यो शामिल नहीं किया गया। ज्योतिष के अनुसार अन्य ग्रह मानव जीवन को प्रभावित कर रहे होंगे तब यह नए ग्रह क्या चुप बैठते होंगे।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ जीवदास साहू फरस बीन यानि फ्रेंच बीन की खेती की जानकारी दे रहे है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा पीता फसल हेतु रोग नियंत्रण की जानकारी दे रहे है। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए सुनिए हंसी-मज़ाक में डूबे हंसगुल्ले और रिकॉर्ड कीजिए अपने चुटकुले मोबाइल वाणी पर, फोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

हमारे पुरुष प्रधान समाज में बच्चे और महिलाएं हिंसा का आसानी से शिकार हो जाते है। ऐसा ही हाल ट्रांसजेंडर यानी तीसरे जेंडर का भी है। ये वो लोग है जो खुद को ना पुरुष और ना ही महिला मानते हैं। इनके हक़ के लिए संघर्षरत है पिया कपूर, जो खुद भी एक किन्नर है। पिया का कहना है कि लोग उन्हें भी इंसान समझे। इसके लिए समाज की सोच और कानून में बदलाव बहुत ज़रूरी है।तीसरे जेंडर के लिए लोगों की सोच और भावनाएं कैसे सुधारी जा सकती है? क्या स्कूली शिक्षा के माध्यम से इस समुदाय के लोगों का जीवन बेहतर हो सकता है? अपने विचार और अनुभव हमें बताने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3

बीते दिनों महिला आरक्षण का बहुत शोर था, इस शोर के बीच यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए की अपने को देश की सबसे बड़ी पार्टी कहने वाले दल के आधे से ज्यादा भू-भाग पर शासन होने के बाद भी एक महिला मुख्यमंत्री नहीं है। इन सभी नामों के बीच ममता बनर्जी इकलौती महिला हैं जो अभी तक राजनीति में जुटी हुई हैं। वसुंधरा के अवसान के साथ ही महिला नेताओं की उस पीढ़ी का भी अवसान हो गया जिसने पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय तक महिलाओं के हक हुकूक की बात को आगे बढ़ाया। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जबकि देश में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की बात की जा रही है। एक तरफ महिला नेताओं को ठिकाने लगाया जा रहा है, दूसरी तरफ नया नेतृत्व भी पैदा नहीं किया जा रहा है।

हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए... सुनिए हंसी-मज़ाक में डूबे हंसगुल्ले और रिकॉर्ड कीजिए अपने चुटकुले मोबाइल वाणी पर, फोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

सुनिए जेंडर हिंसा के खिलाफ चल रहे हमारे इस कार्यक्रम बदलाव का आगाज़ में आज यशस्विनी जी ने उन कानूनों के बारे में बताया जो इस मामले में पीड़ित की मदद कर सकते हैं और बताए उन संगठनों की नाम जो जेंडर-आधारित हिंसा के मामलों में लोगों को कानूनी प्रक्रिया में सहायता करते हैं। आपके विचार में, समाज में जेंडर हिंसा के खिलाफ बदलाव के लिए सबसे बड़ी जरूरत क्या है? जेंडर हिंसा के खिलाफ लड़ाई में कानून कितना महत्वपूर्ण है? क्या आपने कभी जेंडर हिंसा के खिलाफ किसी की मदद की है?

जेंडर हिंसा के खिलाफ चल रहे हमारे इस कार्यक्रम बदलाव का आगाज़ में आज सुनिए यशस्विनी जी को, जो जेंडर आधारित हिंसा पर कानूनी मामलों की जानकार हैं। यशस्विनी जी का कहना है कि अगर हिंसा है तो उसे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कड़ा प्रावधान भी है. बस जरूरत है तो... कदम बढ़ाने की!

“यह देश संविधान से चलता है’, यह एक लाइन जो हम हर दूसरे दिन किसी न किसी के मुंह से सुनते ही रहते हैं। सविंधान पर इतनी आस्था के बाद भी देश में संविधानिक मूल्यों की भावनाओं का अभाव है। संविधान के प्रति पैदा हुए इस "अभाव" के भाव के लिए वही लोग जिम्मेदार हैं, जो हर एक बात पर कहते हैं कि यह देश संविधान से चलता है।