सीतापुर। 88 हजार ऋषि मुनियों की पावन तपोभूमि नैमिष में भी भगवान राम की अयोध्या है। इसे छोटी अयोध्या अथवा अयोध्या हार के नाम से जाना जाता है। प्रभु श्रीराम जब अयोध्यावासियों के साथ नैमिष आए थे, तब इसी स्थान पर विश्राम किया था। यहां राम दरबार के अलावा हनुमान जी का मंदिर है। रामलला का नैमिषारण्य से गहरा नाता है। यहां की पावन धरा भगवान राम के आगमन का आध्यात्मिक इतिहास भी संजोए है। प्रभु श्रीराम के चरण रज से नैमिष का कण-कण सुशोभित है। कालीपीठाधीश गोपाल शास्त्री बताते हैं, कि भगवान राम अयोध्यावासियों के साथ नैमिषारण्य आए थे। गोमती के तट पर जिस स्थान पर प्रभु श्रीराम ने विश्राम किया, वह अयोध्या के नाम से विख्यात है। प्राचीन काल में इसे अयोध्या हार भी कहते थे।