यूआईडीएआई दिल्ली तथा एमपीएसईडीसी, भोपाल की गाइडलाइन के अनुसार आधार पंजीयन केन्द्र का संचालन किसी शासकीय परिसर के अतिरिक्त अन्य स्थान पर नहीं किया जा सकता है। जिन आधार सुपरवाइजर द्वारा ऐसा किया जाता है वह पूर्णतः अवैध है। साथ ही यदि बाजार की किसी भी दुकान में आधार बनाये अथवा सुधारे जाने संबंधी बोर्ड लगाया जाता है तो वह भी अवैध है। इससे आम नागरिक में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है और अन्य आधार पंजीयन सुपरवाइजर जो निर्धारित स्थान पर पंजीयन का कार्य कर रहे हैं प्रभावित होते हैं। आधार से संबंधित शुल्क भी शासन द्वारा निर्धारित किए गए हैं। आधार का पंजीयन पूर्णतः निःशुल्क है। इसके पश्चात बायोमेट्रिक अपडेट फोटो, उंगली के निशान, आंख की रेटिना आदि के डेमोग्राफिक अपडेट मोबाइल नंबर, पता आदि सहित 100 रुपये शुल्क निर्धारित है। केवल डेमोग्राफिक अपडेट के लिए 50 रुपये तथा ई-आधार कार्ड के कलर प्रिंट आउट के लिए 30 रुपये का शुल्क निर्धारित है। यदि कोई व्यक्ति अधिक शुल्क लेता है, तो वह अवैध है। आधार केन्द्रों पर शुल्क की जानकारी का बैनर लगा होना, रजिस्टर पंजी संधारित होना, जिसमें हितग्राहियों की डिटेल जानकारी शुल्क का विवरण भी दर्ज होना आवश्यक है। आधार हेल्पलाइन नंबर 1947 पर रसीद में दी गयी जानकारी अनुसार शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। आवेदक या पीड़ित व्यक्ति यूआईडीएआई दिल्ली के मेल आईडी help@uidai.gov.in पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
सरकारी संस्था आईसीएमआर के डाटाबेस में सेंध लगाकर चुराया गया 81 करोड़ लोगों का डाटा इंटरनेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डाटा में लोगों के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी, पासपोर्ट, नाम, फ़ोन नंबर, पते सहित तमाम निजी जानकारियां शामिल हैं। यह सभी जानकारी इंटरनेट पर महज कुछ लाख रुपये में ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसे डाटा लीक के इतिहास का सबसे बड़ा डाटा लीक कहा जा रहा है, जिससे भारत की करीब 60 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी।