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प्रगतिशील विचारधारा रखने वाले लोग दुख को जीवन का संघर्ष मान कर उस से दो-दो हाथ करने की तैयारी रखते है, लेकिन धर्म व इश्वर की परिकल्पना के साथ जीने वाले लोग दुख का संबंध अपने भाग्य से जोड़ते है या फिर सारा दोष दूसरे पर या इश्वर पर मढ़ देत है। मैने अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में यही अनुभव किया है। आज हम बात करेंगे विचारों पर अनुशासन रख कर कैसे दुखों पर विजय पाकर आनंदमय रह सकते है । अकसर हम तब अपनी आसपास की परिस्थितियों का विश्लेषण करने लगते है जब हमारा सोचा हुआ काम पुरा नहीं होता है। हम असफल हो जाते है तो निश्चित ही उस समय हम बेहद दुखी होते है। और इस दुख का कारण भीतर की बजाए बहार ढूंढने लगते है। मैने कई बार देखा है धर्मभीरू लोग इस दुख के लिए ईश्वर को दोष देने लगते है।
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सतनाः मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल ने शुक्रवार को 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट घोषित किए। दसवीं कक्षा में छतरपुर की नैंसी दुबे के साथ सतना जिले के मैहर की रहने वाली सुचिता पांडेय ने प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। दोनों के 500 में से 496 अंक आए हैं। सुचिता, मैहर के ब्लू बेल्स हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा है। उसके पिता सत्य नारायण पांडे अतिथि शिक्षक हैं जबकि मां रुक्मिणी पांडे प्राइवेट स्कूल में अध्यापन का कार्य करती हैं। दो बहनों में छोटी सुचिता की इस उपलब्धि से पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है। लोग उसकी कामयाबी पर ढोल नगाड़ों के साथ खुशियां मना रहे हैं। सुचिता की बड़ी बहन प्रांजल पांडे भी हायर सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई हैं। वीडियो कॉलिंग और फोन पर सुचिता ने बताया कि वह बड़ी होकर आईएएस बनना चाहती है। उनका सपना है आईएएस बनकर देश और प्रदेश की सेवा करना। सुचिता के पिता सत्यनारायण पांडे ने बताया कि उनकी बेटी नर्सरी से एक ही स्कूल में पढ़ी। वह हमेशा 13 से 14 घंटे पढ़ाई करती थी।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा तरबूज की खेती से सम्बंधित जानकारी दे रहे हैं । विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
बाघेल राजा रामचंद्र (1555-92), अकबर का एक समकालीन था। तानसेन, महान संगीतकार, रामचंद्र के अदालत में थे और वही से अकबर द्वारा उनके दरबार में बुलाया गया था। रामचंद्र के बेटे, बिर्धाब्रा की विक्रमादित्य नामक एक नाबालिग बंदोहगढ़ के सिंहासन से जुड़ गए थे।