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यह कहानी एक लड़की की साहस और संघर्ष की है, जिसने अत्याचार को मात दिया और नये जीवन की धारा चलाई। मायके का साथ बना उसका सहारा, बेटे को बड़ा किया सच्चाई की पुकार से। उमा ने सिखाया, हिंसा से ना डरो, आगे बढ़ो, सपनों को हकीकत में बदलो। आपको लगता है कि उमा ने अपने जीवन में सही निर्णय लिया था, जब वह अपने परिवार के खिलाफ खड़ी हुई थी? उमा की कहानी आपको कैसे प्रेरित करती है और आपके विचारों में समाज में इस तरह की स्थितियों पर सहायता और बदलाव कैसे लाया जा सकता है?

जेंडर हिंसा के खिलाफ चल रहे हमारे इस कार्यक्रम बदलाव का आगाज़ में आज सुनिए यशस्विनी जी को, जो जेंडर आधारित हिंसा पर कानूनी मामलों की जानकार हैं। यशस्विनी जी का कहना है कि अगर हिंसा है तो उसे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कड़ा प्रावधान भी है. बस जरूरत है तो... कदम बढ़ाने की!

जेंडर हिंसा के खिलाफ 16 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम, 'बदलाव का आगाज़', में आज सुनिए लोक लाज के बंधन में बंधी यह महिला जो दहेज के लोभियों के हाथों घरेलू हिंसा की सज़ा झेल रही थी, और आखिर में इसके खिलाफ उठाया उन्होंने एक कदम।

कार्यक्रम बदलाव का आगाज़ जेंडर के नाम पर होने वाली हिंसा के खिलाफ 16 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में आपका स्वागत है।लड़कियों के मन में शादी को ले कर उलझन और उत्साह दोनों तरह की भावनायें होती हैं। कई तरह के सवाल भी होते हैं। आईये सुनते हैं इस कड़ी में रेखा की आपबीती।

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साथियों, आपने वो कहानी तो सुनी ही होगी कि एक लकड़ी को तो कोई भी तोड़ सकता है लेकिन लकड़ियों के बंडल को तोड़ना आसान नहीं है.. कई मुश्किलें ऐसी होती हैं जिन्हें अकेले से ज़्यादा कई लोग मिलकर हल कर सकते हैं. जी हाँ यही है एकता की ताकत. इसी ताकत को आप तक पहुंचा रहे हैं हम अपने कार्यक्रम बदलाब का आगाज़ के ज़रिये, इसमें 16 दिनों तक बातें होंगी हिंसा के खिलाफ सक्रियता को लेकर।

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