बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि मैं चुनाव अकेले लडूंगी गठबंधन करके नहीं

राजनीति में धनी व्यक्ति क्यों आगे बढ़ रहा है

बाईस जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन हो रहा है, उद्घाटन से पहले हर कोई राम नाम की लूट में लगा हुआ है। इस लूट में सबका हिस्सा है, लड़ाई उसके बाद भी है क्योंकि इसमें शामिल पार्टियों को लग रहा है कि उन्हें इस लूट का कम हिस्सा मिल रहा है। इस लड़ाई के सबसे मजबूत खिलाड़ी हैं धर्म और राजनीति जो एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। चारों पीठों के शंकराचार्यों में से एक का कहना है कि राम मंदिर का उद्घाटन अगर प्रधानमंत्री उद्घाटन करेंगे तो हम वहां ताली बजाएंगे क्या? प्रधानमंत्री जिनके प्रयासों से यह सब हो रहा है, उनके समर्थक कह रहे हैं कि उन्होंने तो आज से तीस साल पहले कसम खाई थी कि जब तक राम लला को भव्य मंदिर में नहीं बिठा देंगे वह अयोध्या नहीं आएंगे। अब वे राम जी को लेकर आ रहे हैं।

एक धनी व्यक्ति राजनीति को हथियार बनाकर और पैसा एकत्रित करने लगता है जानें कैसे व्यक्ति को नेता चुनना चाहिए जानने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

हिटलर जो सोच और करना चाह रहा था उसे तानाशाही कहते हैं, यह सोच किसी भी व्यक्ति में तब आती है जब उसके अनुयाई मानने वाले लोग आंख मूंदकर उसके सही और गलत हर फैसले को मानने लगते हैं। ऐसा करने के लिए आवश्यक होता है कि अनुयाइयों को इसकी आदत लगा दी जाए, जैसा कि इन दिनों भारत में हो रहा है।

नेता वही अच्छा होता है जो हम सभी की समस्याएं सुनें

जनभावनाओं को खुश करने से इतर सरकार के क्या काम हैं? संविधान की भावना के अनुसार सरकार का काम है कि देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास करे, जिससे देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़े। राम मंदिर बनने पर शायद ही किसी को कोई आपत्ति हो, पर इस बात पर आपत्ति बनती है कि इसकी कीमत क्या है? देश की बीस प्रतिशत आबादी को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर या फिर विज्ञान के सहारे आगे बढ़ रहे देश को पीछे की तरफ ले जाकर। राम मंदिर जनभावनाओं का मसला है तो फिर प्रधानमंत्री और सरकार का क्या काम है? दोस्तों, आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, राम मंदिर के निर्माण में संविधानिक पदों पर बैठे लोगों का क्या काम? इस मसले पर आप जो भी सोचते हैं उसको रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर अपने फोन से तीन नंबर का बंटन दबाकर या फिर मोबाईलवाणी के एप पर जाकर।

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