इन दिनों समाचार माध्यमों और खासकर टीवी चैनलों में किसी विषय पर अपनी बात रख रहे पक्ष और विपक्ष के नेताओं के रवैये से यही स्पष्ट होता है कि वर्तमान राजनीति में चुनाव परिणामों से महत्वपूर्ण कुछ और है ही नहीं। अधिकांश चैनलों पर बहस विमर्श के नाम पर स्तरहीनता, अज्ञानता, राजनीतिक नासमझी और हर हाल में दलगत प्रतिबद्धता के भाव ही दिखाई पड़ते हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थितियों की जानकारी और भारत के संबंध में उनकी महत्ता जैसे विषय आज के विमर्श में मुश्किल से ही कोई जगह बना पाते हैं। आगामी चुनावों और उनके परिणामों पर चर्चाएं तो थिंक टैंक, सेमिनार और प्रायोजित भाषणों में भी बढ़ती ही जा रहीं हैं। अनेक बार जो कुछ गांव-कस्बे की चौपाल पर चर्चित होता है वह बड़े-बड़े विद्वानों की चर्चा और विश्लेषण से अधिक सारगर्भित हो जाता है।