अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षिणी सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पण्डित संजय रावत शास्त्री ने बताया जन्म कुण्डली किसी भी लग्न की हो यदि दशम भाव का स्वामी बलवान होकर देवगुरू बृहस्पति से युत होकर केन्द्र या त्रिकोण में बैठ जाए तो इसे सिंहासन राजयोग कहते हैं..............