मिड डे मील योजना के तहत शहर के इंटर कॉलेजों में भोजन एक ठेकेदार के यहां से आ रहा है। विद्यालय में भोजन न बनाने पर बीएसए की ओर से जिला विद्यालय निरीक्षक को संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्यों पर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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परिषदीय विद्यालयों की रसोइयों को अब बच्चों का भोजन पकाने के लिए टूटे-फूटे बर्तनों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा

परिषदीय विद्यालय में रसोइयों के लिए एप्रेन दस्ताने और हेड कवर पहने की धनराशि भेजी जाती है इसके बावजूद अधिकांश विद्यालयों में रसोईया बिना एप्रेन दस्ताने पहने भोजन पका रही रसोईया

प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के लिए भोजन बनाने वाले जिले की 9859 रसोइयों को जल्द ही कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी

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दैनिक जागरण बिहार की मई 2023 की रिपोर्ट के अनुसार नरपतगंज प्रखंड से सटे सुपौल जिला के छातापुर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय ठूठी में सोमवार को एमडीएम परोसने के क्रम में बच्चों के भोजन में मरी हुई छिपकली मिली, जिसके बाद बच्चों व गांव वालों में हड़कंप मच गया। लेकिन क्या ये हड़कंप हमारा अपने जन प्रतिनिधियों के सामने झलकता है ? जिस पन्ना ज़िले के स्कुल में 40 बच्चे बीमार हो गए , क्या वोट देते समय हम ये बात सोचते है? नहीं .. बिलकुल भी नहीं सोचते। क्योंकि हम एक वोट देने की मशीन में ढल चुके है। कुछ लोग इसे मेरी ही मूर्खता करार देंगे कि मध्यान भोजन के लिए हम नेताओ को दोष क्यों दें ? लेकिन सच ये है कि जब तक कोई घटना हमारे या हमारे अपनों के साथ नहीं घटती , तब तक हम राजनितिक पार्टियों की चाटुकारिता में लगे रहते है। लोग आपको ही बार बार समझायेंगे कि हमें इन सभी पचड़ों में नहीं पड़ना चाहिए। दोस्तों, अपने देश, समाज और बच्चों के भविष्य को बदलने के लिए किसी न किसी को शुरुआत करनी पड़ेगी और वह शुरुआत स्वयं से ही होगी, इसके बाद अन्य समाज के लोगों का साथ मिलता चला जाएगा। तब तक आप हमें बताइए कि * ------ आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है क्या ? आपके अनुसार बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का क्या मतलब है ? *------ साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

मोबाइल वाणी पर प्रसारित हो रहा राजीव की डायरी कार्यक्रम भरखनी क्षेत्र के लोगों को पसंद आ रहा है दरअसल राजीव की डायरी जैसे ज्ञानवर्धक कार्यक्रम की इस समय बेहद जरूरत भी है शिक्षा के क्षेत्र में फैली तमाम अवस्थाओं पर राजीव की डायरी एक करारी चोट कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था खाऊ कमाऊ नीति की भेंट चढ़ चुकी है, और यही वजह है कि सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एमडीएम योजना हो या अन्य कोई योजना आज भ्रष्टाचार के मकड़जाल में पूरी तरह फंस चुकी है और इसीलिए हमें यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि वास्तव में भूखा है भविष्य ।