धान क्रय केन्द्रो पर किसान पहुंचता नहीं है लेकिन शाम होते ही कागजों पर खरीद बढ़ जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर शाम होते ही कागजों पर खरीद दिखाने के लिए ये किसान कहाँ से आ जाते हैं। हालांकि यहाँ कितने हकीकत में किसान आ रहे हैं ये सरकारी तंत्र भी बताने से आंखे चुरा रहा है। तहसील शाहाबाद में हो रही है फ़र्ज़ी तरीक़े से ख़रीद। आपको बताते चलें कि जनपद हरदोई के तहसील शाहाबाद में 8 परगना है और इन परगनों में 306 ग्राम सभा है इन ग्राम सभा में सामान्य गाँव से ज्यादा चकबंदी वाले गाँव में रजिस्ट्रेशन हुए है, लेकिन सामान्य गांवो में किसानो की संख्या तहसीलों के अनुसार कम है? कुल सत्यापन की संख्या 6279 है ख़रीद हुए किसानों की संख्या 3738 है। ख़रीद। जानकारी अनुसार चकबंदी के गांव में सैकड़ों की तादात में किसानो के कागजों का सत्यापन हुआ है। जबकि चकबन्दी वाले गाँव में किसानों की किसी भी प्रकार की कोई भी ज़मीन का लेखा-जोखा नहीं होता है। जिससे यह नहीं पता लगाया जा सकता किस किसान के पास कितनी ज़मीन है ? वहीं चौकाने वाली बात तो तब सामने आई जब फर्जी किसान असली किसान पर भारी पड़ गए। जी हाँ – चकबन्दी वाले गाँव में फ़र्ज़ी तरीक़े से ज़मीन का सत्यापन करवाके धान माफियाओं ने धान क्रय केंद्र पे फ़र्ज़ी किसानों को असली किसान बना कर धान बेच दिए है।