कुमारगंज अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में मत्सियकी एवं सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के नवआगंतुक छात्र-छात्राओं के लिए स्वागत समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर विवि के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह व उनकी धर्मपत्नी मीना सिंह भी मौजूद रहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. साधना सिंह ने मौजूद सभी अतिथियों का स्वागत किया। सभी छात्र-छात्राओं को बधाई एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कुलपति ने कहा कि शिक्षा की सभी सुविधाएं विश्वविद्यालय में उपलब्ध है। बच्चों को मेहनत व कड़ी लगन से पढ़ाई कर अपने भविष्य को संवारने की जरूरत है। छात्र-छात्राओं के पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। सभी छात्र- छात्राओं ने अपना परिचय दिया साथ ही गायन, नृत्य, नाटक, कविता पाठ, कव्वाली आदि रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इसी क्रम में छात्र-छात्राओं ने रैंप वॉक भी प्रस्तुत किया।

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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा मंगलवार को तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति के शासनादेश के विरोध में जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ राजेश कुमार आर्या को ज्ञापन सौंपा गया। 9 नवंबर 2023 को जारी शासनादेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की गई है। 

रुदौली शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था हुई बदहाल समय से विद्यालय नहीं पहुंच रहे हैं शिक्षक। ताजा मामला रुदौली खंड शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय फेलसंडा का प्रकाश में आया है। ग्रामीणों का कहना है कि देर से आना-जल्दी जाना ये है यहां के शिक्षकों का रूटीन। बच्चों व अभिभावकों के बार बार शिकायत के बाद भी नहीं हो रहा सुधार। शिक्षक अपनी आदत से हैं मजबूर।

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मिल्कीपुर शिक्षा क्षेत्र स्थित कई परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की मनमानी एवं विद्यालय न आने का मामला प्रकाश में आया है। बीएसए एवं खंड शिक्षा अधिकारी सहित विद्यालय से गायब रहने वाले शिक्षकों के खिलाफ शिकायत करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने किसी अन्य विभाग के शीर्ष अधिकारी से मामले की जांच करा कर कार्रवाई की मांग की है।

अयोध्या जिले के करीब साठ माध्यमिक विद्यालयों में तैनात 160 तदर्थ शिक्षक माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी सेवा समाप्ति आदेश की चपेट में आए हैं। आदेश के बाद 18 माह से वेतन विहीन इन तदर्थ शिक्षकों का जीवन पूरी तरह से अंधकारमय हो गया है। एक ओर जहां प्रभावित तदर्थ शिक्षकों के परिवारों में गम का माहौल है, वहीं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से प्रभावितों के अधिकार दिलाने के लिए हुंकार भरी गई है। शुक्रवार को यहां उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ की जिला इकाई ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति की घोषणा को एक तुगलकी फरमान बताया है।

यूनेस्को की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 1.10 लाख ऐसे स्कूल हैं जो केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा देश भर में शिक्षकों के लगभग 11.16 लाख पद खाली हैं और उसमें से भी तक़रीबन 70 फीसदी पद गांव के इलाके के स्कूलों में हैं। है ना मज़ेदार बात। जो गाँव देश की आत्मा है , जिसके लिए सभी सरकारें खूब बड़ी बड़ी बातें बोलती रहती है। कभी किसान को अन्नदाता , भाग्य विधाता, तो कभी भगवान तक बना देती है। उसी किसान के बच्चों के पढ़ने के लिए वो स्कूलों में सही से शिक्षक नहीं दे पाती है। जिन स्कूलों में शिक्षक है वहाँ की शिक्षा की हालत काफी बदहाल है. माध्यमिक से ऊपर के ज्यादातर स्कूलों में संबंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं. नतीजतन भूगोल के शिक्षक को विज्ञान और विज्ञान के शिक्षक को गणित पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में इन बच्चों के ज्ञान और भविष्य की कल्पना करना मुश्किल नहीं है. लोग अपनी नौकरी के लिए तो आवाज़ उठा रहे है। लेकिन आप कब अपने बच्चो की शिक्षा के लिए आवाज़ उठाएंगे और अपने जन प्रतिनिधियों से पूछेंगे कि कहाँ है हमारे बच्चो के शिक्षक? खैर, तब तक, आप हमें बताइए कि ------आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ------ क्या आपने क्षेत्र या गाँव के स्कूल में हर विषय के शिक्षक पढ़ाने आते है ? अगर नहीं , तो आप अपने बच्चों की उस विषय की शिक्षा कैसे पूरी करवाते है ? ------साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।