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वात रोग में राई का उपयोग...

मिर्गी में लाभदायक है राई...

विजय कोचिंग सेंटर

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एक कप पानी में दो छोटी चम्मच किशकिश डालें और फूलने दें। आधे घंटे के बाद इसे इसी पानी में पीस लें और छान लें और इसमें आधे नींबू का रस मिलाकर पी लें।

वायरल फीवर संक्रमण से होने वाली बीमारी है। आयुर्वेद के अनुसार वायरल फीवर होने पर शरीर के तीनों दोष प्रकूपित होकर विभिन्न लक्षण दिखाते है। विशेषकर इसमें कफ दोष कूपित होकर जठराग्नि को मंद या भूख मर जाती है।

अब तक आपने वायरल फीवर होने के लक्षण और कारणों के बारे में जाना। लेकिन कुछ सावधानियां बरतने पर यानि जीवनशैली में और खान-पान में थोड़ा बदलाव लाने पर इस रोग को होने से रोक सकते हैं। खाने में उबली हुई सब्जियां, हरी सब्जियां खाना चाहिए। दूषित पानी एवं भोजन से बचें। पानी को पहले उबाल कर थोड़ा गुनगुना ही पिएँ। वायरल बुखार से ग्रस्त रोगी के सम्पर्क में आने से बचें। मौसम में बदलाव के समय उचित आहार-विहार का पालन करें। रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनायें रखने के लिए आयुर्वेदिक उपचार एवं अच्छी जीवन शैली को अपनायें।

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