"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा नींबू के फसल के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

मोटाभाई ने महज एक शादी में जितना खर्च किया है, वह उनकी दौलत 118 बिलियन डॉलर का 0.27 है। जबकि उनकी दौलत कृषि संकट से जूझ रहे देश का केंद्रीय बजट का 7.5 प्रतिशत से भी कम है। जिस मीडिया की जिम्मेदारी थी कि वह लोगों को सच बताएगा बिना किसी का पक्ष लिए, क्या यह वही सच है? अगर हां तो फिर इसके आगे कोई सवाल ही नहीं बनता और अगर यह सच नहीं तो फिर मीडिया द्वारा महज एक शादी को देश का अचीवमेंट बताना शुद्ध रूप से मुनाफे से जुड़ा मसला है जो विज्ञापन के रुप में आम लोगों के सामने आता है। क्योंकि मीडिया का लगभग पचास प्रतिशत हिस्सा तो मोटाभाई का खुद का है और जो नहीं है वह विज्ञापन के लिए हो जाता है "कर लो दुनिया मुट्ठी में” की तर्ज पर। दोस्तों, इस मुद्दे पर आप क्या सोचते है ?अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर, अपने फोन से तीन नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाईल का एप डाउनलोड करके।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू ,ज्वार के फसल के लिए मिट्टी एवं बीज का चयन और बीज शोधन की जानकरी दे रहे हैं। ज्वार के फसल से जुड़ी कुछ बातें किसानों को ध्यान में रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा मक्का फसल की बुवाई के बारे में जानकारी दे रहे हैं । विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें

इस कार्यक्रम में एक परिवार बात कर रहा है कि कैसे बढ़ती गर्मी से बचा जाए। वे चर्चा करते हैं कि शहरों में ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए, पानी बचाना चाहिए, और लोगों को इन बातों के बारे में बताना चाहिए। और सभी को मिलकर अपने आसपास की जगह को ठंडा और हरा-भरा बनाकर रखना चहिये

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से जुड़ी श्रोताओं के विचार

उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या जिला से प्रदीप कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे एक श्रोता शेर बहादुर शेर से बात किया उन्होंने बताया की महिलाओं की असमानता, जिसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है, एनजीओ के लोग भी प्रयास कर रहे हैं। हम, सामाजिक-राजनीतिक दल के लोग भी प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जो है वह अब दूर नहीं हो रहा है, इसलिए हर संघर्ष की आवश्यकता है, कठिन निर्णय लेने की आवश्यकता है। इसके लिए कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। उन पर जोर दिया जाना चाहिए। जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए और लड़कियों को पढ़ाया जाना चाहिए ताकि लड़कों और लड़कियों में कोई अंतर न हो।

उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या जिला से प्रदीप कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे एक श्रोता संजीव द्विवेदी से बात किया उन्होंने बताया की जब संविधान द्वारा पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार दिए गए हैं। राजस्व के अभाव में भी अब महिलाओं को बदलाव करके भूमि पर अधिकार भी दिए जा रहे हैं, लेकिन अगर वास्तविक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो महिलाओं को वास्तविक कागजी अधिकार मिल गए हैं। लेकिन संवैधानिक रूप से सशक्त होने के बावजूद, यह अधिकार अभी भी हमारे समाज में सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं है। भूमि में बेटियों को भी समान अधिकार दिए जाते हैं। यदि किसी पुरुष के खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तो उसके भावी बच्चे और पत्नी को भूमि में समान अधिकार मिलते हैं।

शुरू हो रहा है बच्चों से जुड़ी कहानियों और किस्सों का सिलसिला | जहाँ मनाएंगे बचपन, बच्चों के अंदाज़ में | सुनियेगा ज़रूर, बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ और मोबाइल वाणी की ये खास पेशकश |