उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या जिला से प्रदीप कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे एक श्रोता संजीव द्विवेदी से बात किया उन्होंने बताया की जब संविधान द्वारा पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार दिए गए हैं। राजस्व के अभाव में भी अब महिलाओं को बदलाव करके भूमि पर अधिकार भी दिए जा रहे हैं, लेकिन अगर वास्तविक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो महिलाओं को वास्तविक कागजी अधिकार मिल गए हैं। लेकिन संवैधानिक रूप से सशक्त होने के बावजूद, यह अधिकार अभी भी हमारे समाज में सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं है। भूमि में बेटियों को भी समान अधिकार दिए जाते हैं। यदि किसी पुरुष के खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तो उसके भावी बच्चे और पत्नी को भूमि में समान अधिकार मिलते हैं।