बिहार राज्य के शेखपुरा जिला के नारायणपुर से सुनीता देवी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिला है

बिहार राज्य के शेखपुरा जिला से हमारे श्रोता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उनके वार्ड में नल जल योजना के तहत पानी नहीं आ रहा है

बिहार राज्य के शेखपुरा जिला से जोगेन्दर कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उनके क्षेत्र में नल जल योजना के तहत नियमित रूप से पानी नहीं दिया जाता है

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शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय भदरथी से बच्चों का पोषाहार बेचने के मामले में आखिरकार पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर प्रभारी प्राचार्य अरसत करीम को जेल भेज दिया.प्रभारी प्राचार्य पर गांव के ही नंदन कुमार नामक युवक के द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. प्राथमिक की दर्ज करवाने वाले युवक नंदन कुमार से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को गांव के ही गल्ला व्यापारी बिंदेश्वरी साव के पुत्र सोनू साव को कुछ लोगों ने स्कूल से साइकिल पर दो बोरा चावल लेते जाते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया था. ग्रामीण जब सोनू साव से पूछताछ करने लगे तो वह बोरा और साइकिल छोड़कर वहां से भाग निकला. लेकिन ग्रामीणों ने उसे खदेड़कर पकड़ लिया और जमकर पिटाई करते हुए कड़ाई से पूछताछ किया तब उसने बताया कि वह विद्यालय से चावल लेकर विद्यालय के सचिव पिंकू सिंह के घर जा रहा था. इस कार्य के लिए ₹40 भाड़ा तय हुआ था. लेकिन ग्रामीणों का दावा है कि सोनू साव खुद को बचाने के लिए झूठ बोल रहा है.उसने प्राचार्य से सरकारी अनाज खरीद था. उधर ग्रामीणों की बढ़ती भीड़ देखकर प्रभारी प्राचार्य झोला में चप्पल रखकर धान के खेत के रास्ते भागने लगे.लेकिन ग्रामीणों ने प्रभारी प्राचार्य को भी खदेड़कर पकड़ लिया और इसके बाद केवटी ओपी थाने को सूचना दिया.मौके पर पहुंची पुलिस ने प्रभारी प्राचार्य असरत करीम को ग्रामीणों के चंगुल से छुड़ाकर अपने हिरासत में लेते हुए थाने लेकर चली गई.पूरे मामले पर थाना प्रभारी हरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि नंदन कुमार के द्वारा प्राचार्य पर सरकारी अनाज चोरी कर बेचने का आरोप लगाते हुए एक आवेदन दिया गया था.पुलिस ने उसे आवेदन के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करते हुए प्रभारी प्राचार्य को गुरुवार को जेल भेज दिया है. उन्होंने बताया कि मौके से बरामद चावल सरकारी मध्य विद्यालय का ही था.पूरे मामले की जानकारी बरबीघा के प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार को भी दिया गया है. दूसरी तरफ प्राचार्य का कहना है कि पकड़ा गया अनाज उनके विद्यालय का नहीं है. उन्हें साजिशन इस मामले में फसाया जा रहा है.वही ग्रामीणों ने यह भी बताया कि विश्वकर्मा पूजा से एक दिन पहले भी विद्यालय से भारी मात्रा में लोहा बेच दिया गया था.उसके बाद से ही प्राचार्य को रंगे हाथ पकड़ने के लिए ग्रामीण लगातार रेकी कर रहे थे. बुधवार को सबसे पहले विद्यालय के पीछे तालाब में मछली पालन करने वाले नंदन कुमार ने ही अनाज ले जाते हुए सोनू साहब को रंगे हाथ पकड़ा था जिसके बाद मामले का पूरी तरह से खुलासा हो गया.

शेखोपूर सराय प्रखंड के पनयपूर गाँव जहां पच्चीस वर्षों नली गली का निर्माण नहीं हो सका। शेखोपुर सराय प्रखंड मुख्यालय अंतर्गत वेलाव पंचायत के पनयपुर एक ऐसा गांव है । जहां पंचायती राज्य व्यवस्था में ग्रामीण विकास और बिहार सरकार के कल्याणकारी योजनाओं का जमीनी हकीकत बयान करती है । गौरतलब हो की जहां बिहार सरकार के द्वारा करोड़ों की राशी पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के स्थानीय जनप्रतिनिधि को भेजा जाता है । ताकी गांव के ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा को प्रदान किया जा सके और गांव का विकास हो सकें । परन्तु कल्याण कारी योजना का समुचित लाभ भोले भाले ग्रामीणों के बीच नही पहुंचता और ग्रामीण अपनी वेवशी भरी जिन्दगी जीने पर मजबूर रहते हैं । इसका जीता जागता उदाहरण वेलाव पञ्चायत के पनयपुर गांव है । जहां के ग्रामीण अजय यादव,नंदे यादव , आशा देवी , मनोज कुमार, आदी का कहना है । लगभग पच्चीस वर्षो गांव में पक्की नली गली के लिए तरसते आ रहें हैं । वहीं इस गाँव के विकास पर और पंचायती राज व्यवस्था पर कई सवाल खड़ा करते हैं । इस गाँव मे न तो कोई स्थानीय जनप्रतिनिधि और ना ही वरीय अधिकारी के द्वारा कोई पहल किया जाता है । ना ही स्थानीय पूर्व मुखिया का ध्यान रहा और नही वर्तमान के मुखिया का इस समस्या पर ध्यान है । ग्रामीणों ने कहा की वर्तमान मुखिया रघुनाथ मांझी भी इस गांव के विकास को लेकर कोई तत्परता नही दिखा रहे हैं । इस गांव में आधी आबादी के घरों तक नल जल का पानी भी नहीं पहुंचता है । सरकारी योजनाओं में लूट घसोट में पिसता यह गांव वेवशी भरी जिंदगी जीने पर मजबूर होता जा रहा है ।

नगरपंचायत शेखोपूरसराय के नीमी गाँव में स्थित माध्यमिक उच्च विद्यालय मे छात्रों के लिए बैठने तक की भी उचित व्यवस्था नहीं है। आये दिन नौवीं, दशबी ,और ग्यारहवीं का अर्धवार्षिक परीक्षा लिया जा रहा है। परंतु छात्रों के लिए सरकारी स्कूल मे सुविधा बिल्कुल अपंग हुई पडी हैं। बता दें की नीमी 10+2 हाई स्कूल जहां छात्रों की संख्या ग्यारह सौ के करीब है। लेकिन न तो छात्रों के लिए क्लास रूम, और नाहीं बैठने के लिए उचित बेंच और डेस्क हैं। इतना ही नहीं शिक्षकों की संख्या भी मात्र चार ही है। जो सिर्फ नौवीं और दशबी कक्षा के छात्रों को विषयाबार पढ़ाई कराते हैं। परंतु 10+2 के कुल तीन सौ पच्चीस छात्रों की पढ़ाई कई वर्षों से नहीं शिक्षक नहीं रहने के कारण हो पा रही है। तदुपरांत भी 10+2 के छात्र छात्राओं के द्वारा परीक्षा दिया जा रहा है। येसे मे सवाल खड़ा होता है कि इन उच्चतर शिक्षा के छात्रों का कॉपी मूल्यांकन कैसे और कौन कर सकेगा। हालात ये है की माध्यमिक उच्च विद्यालय को बिहार सरकार के द्वारा 10+2 कर दिया गया लेकिन शिक्षकों की उत्तम विधि व्यवस्था स्कूल मे मुहैया नहीं कराया जा सका। जिसे लेकर छात्रों का भविष्य अधेड़ मे लटका हुआ है। इस सम्बंध जानकारी देते हुए स्कूल के प्रभारी मृत्युंजय पांडेय ने बताया की पिछले कई वर्षों से इस स्थित का सामना करना पड़ रहा है। और कई बार विभाग को लिखित आवेदन देकर समस्या से अवगत कराया गया परंतु आज तक इस पर विभाग के द्वारा कोई पहल नहीं किया जा सका और समस्या यूही बनी पडी है। और आज छात्राये स्कूल मे जहां तहां बैठकर परीक्षा देने के लिए मजबूर है।