नमस्कार साथियों शेखपुरा मोबाइल वाणी में आप सभी का स्वागत है। आज हम बात करने वाले हैं संविधान की प्रस्तावना के बारे में वही संविधान की प्रस्तावना जिसमें सामाजिक आर्थिक राजनीतिक और न्याय के बारे में बताया गया है। वही प्रस्तावना जिसमें स्वतंत्रता के बारे में बताया गया है। वही प्रस्तावना जिसमें समता के बारे में भी बताया गया है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संविधान के शब्द में इतनी बड़ी गलती कैसे हुई। दरअसल हुआ यह की जो हमारा अभी नया संसद भवन है वहां पर नये संसद का कार्यकाल शुरू हुआ जहां पर संविधान की जो कापी एमपी को बांटी गई उसमें कुछ शब्द मिसिंग था। लेकिन सत्तापक्ष के लोगों का कहना है कि जो संसद भवन में संविधान की कापी बांटी गई वह मूल प्रति था। लेकिन मैं इसका आलोचना करता हूं कि यदि संविधान के प्रस्तावना से पंथनिरपेक्ष व समाजवादी शब्द हटाये जाते हैं तो यह गलत है। इससे आर्थिक योजना, समाजिक कल्याण सार्वजनिक स्वामित्व भी प्रभावित होगा। हालांकि ये दो शब्द मूल प्रस्तावना का हिस्सा नहीं थे।