सरकार द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने और गांवों में पीएम आवास योजना के तहत 70 प्रतिशत से ज्यादा मकान महिलाओं को देने से देश में महिलाओं की गरिमा बढ़ी तो है। हालांकि, इन सबके बावजूद कुछ ऐसे कारण हैं जो महिलाओं को जॉब मार्केट में आने से रोक रहे हैं। भारत में महिलाओं के लिए काम करना मुश्किल समझा जाता है. महिलाएं अगर जॉब मार्केट में नहीं हैं, तो उसकी कई सारी वजहें हैं, जिनमें वर्कप्लेस पर काम के लिए अच्छा माहौल न मिल पाना भी शामिल है . दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- नौकरी की तलाश में महिलाओं को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। *----- आपके अनुसार महिलाओं के नौकरी से दूर होने के प्रमुख कारण क्या हैं? *----- महिलाओं को नौकरी में बने रहने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
निर्मली(सुपौल) : अनुमंडल के मरौना प्रखंड क्षेत्र स्थित बड़हरा चौक के समीप शुक्रवार को जदयू कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई।आयोजित इस बैठक में सांसद दिलेश्वर कामत,जदयू जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव,जदयू प्रखंड अध्यक्ष मकसूद आलम,प्रदेश महासचिव कुर्षिद आलम,रामचंद्र दास, किसन मंडल,रविंद्र यादव,रामचंद्र यादव,जीवनेश्वर साह, अमर देव कामत ,मोहर लाल ठाकुर, मनोज राम ,मो प्यारे सहित अन्य कार्य कर्ताओं ने भाग लिया ।बैठक में 24 जनवरी को जननायक कर्पूरी ठाकुर जन्म शताब्दी समारोह पटना के भेटनरी कालेज में सफल बनाने को लेकर विचार विमर्श किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा देश के किसी कोने में महिला को 50 प्रतिशत आरक्षण नही दिया गया है।लेकिन हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिया है।कहा कि 24 जनवरी को पटना चलना चाहिए ।ये कार्यक्रम हमारे नेता के मान सम्मान की बात है।इस कार्यक्रम में जिला से जितने भी लोग जाएंगे उनके आने जाने के लिए सारी सुविधा रहेगा,कर्पूरी जी का 100वां जन्म दिन मनाया जाएगा । हमारे विरोधी पार्टी कह रहा है कि नीतीश के पास लोग नही है,तो हमें उनके मुंह पर तमाचा मार कर दिखाना होगा कि हमारे पास कितने लोग है वक्ताओं ने कहा जननायक कर्पूरी ठाकुर महान नेता थे ।उन्होंने गरीबों वंचितों को जो सुधारने का काम किया है वह किसी से छुपा नहीं है।उनके रास्ते पर हमारे नेता नीतीश जी चल कर गरीबों को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे है ।अगर कोई देश में ईमानदार है तो वह है हमारे नेता नीतीश कुमार। वक्ताओं ने कहा कर्पूरी जी जब मुख्यमंत्री थे उस समय भी उनकी पत्नियां बकड़ी चराया करते थे।फटी धोती कुर्ता पहनकर रहा करते थे। गरीबों के जो बलिदान कर्पूरी ठाकुर दिया वह किसी छुपा नहीं है।
राजद जिला महासचिव चन्द्रिका कुमारी के आवास पर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जनहित में किए गए कार्यों का बखान किया गया। मौके पर बताया गया कि डिप्टी सीएम ने बेरोजगारों को रोजगार देने की, 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था उसके प्रति वे दृढ़ संकल्पित हैं। बोले पक्का वादा, अडिग इरादा, पूर्ण-प्रण, पूर्ण संकल्प, जबसे आई नीतीश-तेजस्वी की सरकार, बिहार में रोजगार-रोजगार है। राजद नेताओं ने कहा कि शिक्षा विभाग में रिकार्ड समय में 2 लाख 17 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई, गृह विभाग में हजारों पुलिस कर्मियों की बहाली, अन्य विभागों में लाखों पदों पर नियोजन की प्रकिया जारी, 4.5 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिलाने का निर्णय लिया गया। मौके पर उपस्थित जिला प्रवक्ता दिनेश यादव ने कहा कि बिहार में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा, अति पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया। देश में प्रथम बार बिहार प्रदेश में जातिगत जनगणना करवाई गई। तालीमी मरकज, शिक्षा मित्र और टोला सेवकों का मानदेय दोगुना किया गया। आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका का मानदेय बढ़ाया गया। पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय में बढ़ोतरी की गई आदि बातों को रेखांकित किया गया। प्रेस वार्ता में प्रो. विजय कुमार यादव, श्याम यादव, चन्द्रिका कुमारी, मु. मुस्ताक अहमद, अनवर अली, सचिन्द्र कुमार आदि मौजूद थे।
बीते दिनों महिला आरक्षण का बहुत शोर था, इस शोर के बीच यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए की अपने को देश की सबसे बड़ी पार्टी कहने वाले दल के आधे से ज्यादा भू-भाग पर शासन होने के बाद भी एक महिला मुख्यमंत्री नहीं है। इन सभी नामों के बीच ममता बनर्जी इकलौती महिला हैं जो अभी तक राजनीति में जुटी हुई हैं। वसुंधरा के अवसान के साथ ही महिला नेताओं की उस पीढ़ी का भी अवसान हो गया जिसने पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय तक महिलाओं के हक हुकूक की बात को आगे बढ़ाया। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जबकि देश में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की बात की जा रही है। एक तरफ महिला नेताओं को ठिकाने लगाया जा रहा है, दूसरी तरफ नया नेतृत्व भी पैदा नहीं किया जा रहा है।
सवाल है कि जिस कानून को इतने जल्दबाजी में लाया जा रहा हैं उसके लागू करने के लिए पहले से कोई तैयारी क्यों नहीं की गई, या फिर यह केवल आगामी चुनाव में राजनीतिक लाभ पाने के दृष्टिकोण से किया जा रहा है।