सुपौल के बागान में उपजने वाली चाय पत्ती की खुशबू प्याली में बिखरेगी और लोग यहां की चाय से गुड मार्निंग करेंगे। चाय के साथ-साथ जिले में अनानास व ड्रैगन फ्रूट की भी खेती की जाएगी। फिलहाल विभाग ने इन सभी खेती के लिए पहल शुरू कर दी है। इससे कोसी प्रभावित सुपौल जिले का न सिर्फ देश भर में कद बढ़ेगा बल्कि इस इलाके में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी। अब तक यह जिला अन्न उत्पादन मामले में ही अपनी पहचान कायम किया हुआ है लेकिन चाय की खेती शुरू होने के बाद जिला को औद्योगिक क्षेत्र में भी पहचान मिल पाएगी। दरअसल कृषि विभाग के सचिव की पहल पर जिले में चाय, ड्रैगन फ्रूट और अनानास की खेती करने की पहल शुरू की गई है। सचिव के निर्देश के बाद विभाग ने जिले में चाय खेती की संभावना की तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए विभाग ने न सिर्फ कमर कस ली है बल्कि चाय खेती को ले रोड मैप भी तैयार कर लिया है। विभागीय अधिकारी गांव-गांव घूम कर चाय खेती के अनुकूल जमीन की पहचान करने के साथ-साथ उस क्षेत्र के किसानों को भी इस खेती को ले प्रेरित कर रहा है। --------------------------------- किसानों से हुई है विभाग की बात पिछले दिनों सहरसा प्रमंडल के संयुक्त निदेशक शस्य के साथ जिला कृषि पदाधिकारी अजीत कुमार यादव तथा सहायक निदेशक उद्यान अमृता कुमारी ने जिले के बसंतपुर और छातापुर प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर चाय खेती की संभावना की तलाश की है। इन अधिकारियों ने चाय खेती के अनुकूल खेतों की पहचान कर आसपास के कृषकों से भी बात की है। विभाग द्वारा बसंतपुर प्रखंड के भवानीपुर तथा पुरैनी गांव में करीब 40 एकड़ जमीन की पहचान की है जहां चाय की खेती की जा सकती है। विभाग ने यहां के किसानों के साथ बैठक कर उन्हें इस खेती के बारे में जानकारी दी है। विभाग की माने तो यहां के किसानों ने भी चाय बागान लगाने के प्रति उत्सुकता दिखाई है। हालांकि जिन खेतों की पहचान विभाग द्वारा चाय खेती के लिए की गई है उसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी तत्पश्चात चाय खेती के विशेषज्ञों द्वारा मिट्टी की जांच बाद ही उन्हें हरी झंडी दी जाएगी। ---------------------------------- किसानों को किया जा रहा जागरूक विभाग की माने तो इस योजना से सुपौल में चाय उत्पादन को गति मिलेगी और इससे जुड़े किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। इसके लिए किसानों को सरकार द्वारा तय मानक के अनुसार सुविधा प्रदान की जाएगी। जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि सीमावर्ती जिला किशनगंज की पहचान तेजी से उभरते चाय उत्पादक इलाके के रूप में बनी है। इसी को देखते हुए विभागीय निर्देश के बाद जिले में भी इस खेती की शुरुआत करने की पहल की गई है। इसके लिए फिलहाल विभागीय स्तर से भूमि की पहचान व किसानों को जागरूक किया जा रहा है। ---------------------------- कहते हैं डीएओ जिला कृषि पदाधिकारी बताते हैं कि अन्न उत्पादन के साथ-साथ चाय व उद्यानिक फसल ड्रैगन फ्रूट, अनानास की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभागीय प्रयास किया जा रहा है। फिलहाल विभाग के स्तर से खेतों की पहचान व वहां की भौगोलिक स्थिति के साथ-साथ जलवायु की परख की जा रही है। इसके अलावा किसानों को भी इस खेती को ले जागरूक किया जा रहा है। खेतों की पहचान के बाद इसकी रिपोर्ट विभाग को भेजी जाएगी। इसके बाद विशेषज्ञों द्वारा इसकी जांच-पड़ताल के बाद ही या खेती शुरू की जाएगी।