सिंचाई की समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने किसानों को समूह में नलकूप देने की योजना बनाई है। मकसद है कि वैसे लघु और सीमांत किसान जो नलकूप स्थापित करने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है वैसे किसान भी इस योजना का लाभ उठाकर फसलों की सिंचाई आसानी से कर सके। योजना को लेकर किसानों को अनुदान भी दिए जाने की व्यवस्था दी गई है। परंतु विडंबना देखिए कि इतने बड़े महत्वपूर्ण योजना के लिए विभाग को किसान ही नहीं मिल पा रहे हैं। या यूं कहे कि किसानों तक या तो योजना की जानकारी नहीं पहुंच पा रही है या फिर किसान योजना में रुचि नहीं ले पा रहे हैं। स्थित है कि इसके क्रियान्वयन को लेकर विभाग दिसंबर माह में ही किसानों से आवेदन लिए जाने की व्यवस्था की है, परंतु अब तक एक भी आवेदन विभाग को प्राप्त नहीं हो पाया है। उसमें भी तब जब कोसी की किसानी में आज भी सिंचाई एक बड़ी समस्या बनी हुई है। दरअसल सरकार सात निश्चय दो के तहत सूक्ष्म सिंचाई हेतु सामूहिक नलकूप योजना चलाई है। इस योजना के तहत कम से कम दो किसानों का समूह बनाना होता है। इन किसानों के पास कम से कम आधा एकड़ जमीन होनी चाहिए। इस समूह को विभाग 80 फीसद अनुदान पर बोरिंग के साथ-साथ मिनी स्प्रिंकलर भी उपलब्ध कराती है। बावजूद योजना को लेकर किसानों का आगे नहीं आना फिलहाल विभाग के लिए एक मुसीबत बनी हुई है। विभाग की माने तो आवेदन करने की स्थिति यदि यही रही तो फिर एक बार जिले में सिंचाई की यह व्यवस्था बृहद रूप नहीं ले पाएगी। हर खेत को पानी उपलब्ध कराने को लेकर सरकार ने हाल के दिनों में कई तरह की व्यवस्था कर रखी है। जहां खेतों तक बिजली पहुंचाई जा रही है वहीं सिंचाई की नई तकनीक ड्रीप, स्प्रिंकलर से लेकर नलकूप तक की व्यवस्था अनुदानित दरों पर कर रखी गई है। परंतु सरकार की यह व्यवस्था आज भी किसानों तक नहीं पहुंच पाई है। इसके लिए कहीं न कहीं विभागीय उदासीनता या फिर किसानों का परंपरागत सिंचाई से अलग नहीं हटने की मानसिकता योजना के पथ में रोड़ा अटका रहा है। ----------------------------------- योजनाओं के प्रति जागरूक नहीं हो रहे किसान भले ही सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में योजनाओं की भरमार सी लगी हुई है। विभिन्न तरह की योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने के लिए विभाग में पदाधिकारी व कर्मियों की एक फौज सी खड़ी है। बावजूद कई ऐसी योजना है जो विभागीय उदासीनता के कारण किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे कर्मी और पदाधिकारी किसानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसका नतीजा होता है कि किसान नई योजनाओं के प्रति जागरूक ही नहीं हो पाते हैं। हालांकि यदा- कदा जब कभी भी किसानों को जागरूक किया जाता है तो कुछ प्रगतिशील किस्म के किसान ही योजना का लाभ उठा पाते हैं। शेष बचे किसान जानकारी के अभाव में योजना का लाभ नहीं उठा पाते हैं। फिलहाल सामूहिक नलकूप योजना कुछ इसी और इशारा कर रहा है। इस महत्वपूर्ण योजना को लेकर आवेदन लेने की प्रक्रिया को शुरू हुए करीब एक माह से अधिक समय बीत चुका है। परंतु एक भी किसानों का आवेदन विभाग को प्राप्त नहीं होना कहीं न कहीं विभागीय कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह कर कर रहा है। जबकि रबी फसल की सिंचाई जिले में जोरों पर है। अल्प संसाधन के बावजूद किसान महंगी सिंचाई को विवश है।