रीतिका कुमारी मेरा घर शिशवा ताजपुर नी रामुल मेर देश में शांति उन्नति का प्यार का चमन ना रामुल्क मेरा देश में शांति उन्नति प्रेम का मन इसके बाद तीसरा शहर है , मेरा मन आठवां है । आप मेरे देश को जानते हैं , आप मेरे देश को जानते हैं , आप मेरे देश को जानते हैं , आप शांति के प्यार , प्रगति के प्यार को जानते हैं । इसकी मिट्टी से बना मन और जेन , तेरे मेरे वदन , इसकी भूमि , तेरे मेरे वास ते , यह वह आकाश है जिसने हमें जीना सिखाया है । इसके दस दिन बाद जीने की प्रवृत्ति आ जाती है । मैं इतना इतना मन जाने मन जाने मन मेरा देश मेरा । वतन शांतिक नन्ती का प्यार का चमन इतना तेनिसारे है रमन ए वतन ए वतन ए वतन जाने मन ।

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