भूमि सुधार कानूनों में संशोधन करके महिलाओं के भूमि अधिकार को सुनिश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, कानूनों में यह प्रावधान किया जा सकता है कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार होगा और विवाह के बाद भूमि का अधिकार हस्तांतरित नहीं होगा। सभी जमीनों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए ताकि महिलाएं अपने भूमि अधिकारों का दावा कर सकें। तब तक दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आपके हिसाब से महिलाओं को भूमि का अधिकार देकर घर परिवार और समाज में किस तरह के बदलाव लाए जा सकते हैं? *----- साथ ही आप इस मुद्दे पर क्या सोचते है ? और आप किस तरह अपने परिवार में इसे लागू करने के बारे में सोच रहे है ?

कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"

कर्मचारी चयन आयोग द्वारा कांस्टेबल के कुल 39481 पदों पर भर्ती निकाली गई है। न्यूनतम 18 वर्ष और अधिकतम 23 वर्ष के उम्र वाले वैसे पुरुष व महिला उम्मीदवार जिन्होंने किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड / संस्थान से 10वीं की कक्षा उत्तीर्ण किया हो ,वे इस पद के लिए आवेदन कर सकते है। आयु सीमा में छूट निर्धारित की गई है। उम्मीदवारों का चयन फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट ,फिजिकल स्टैण्डर्ड टेस्ट ,लिखित परीक्षा ,दस्तावेज़ जाँच प्रक्रिया व चिकित्सीय जाँच के आधार पर किया जाएगा। इस पद के लिए निर्धारित वेतन 18,000 रूपए से 69,100 रूपए है। इच्छुक उम्मीदवार ऑनलाइन माध्यम से इस पद के लिए आवेदन कर सकते है। आवेदन करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट है : https://ssc.gov.in/ . इस वेबसाइट के माध्यम से आप इस पद से सम्बंधित आधिकारिक सूचना भी प्राप्त कर सकते है। इस पद के लिए आवेदन शुल्क सामान्य वर्ग के लिए 100 रुपए निर्धारित की गई है एवं अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आवेदन निशुल्क है। याद रखिए इस पद पर आवेदन करने की अंतिम तिथि 14 अक्टूबर 2024 है।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में आर्थिक समानता में महिलाओं की संख्या 58 फीसदी है। लेकिन पुरुषों के बराबर आने में उन्हें अभी सदियां लग जाएंगी। 156 देशों में हुए इस अध्ययन में महिला आर्थिक असमानता में भारत का स्थान 151 है। यानी महिलाओं को आर्थिक आजादी और अचल संपत्ति का हक देने के मामले में एक तरह से हम दुनिया में सबसे नीचे आते हैं। दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के जीवन का बड़ा समय इन अधिकारों को हासिल करने में जाता है, अगर यह उन्हें सहजता से मिल जाए तो उनका जीवन किस तरह आसान हो सकता है? *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों तक पहुंच में सुधार के लिए कौन- कौन से संसाधन और सहायता की आवश्यकता हैं?

बिहार सरकार ने हाल में राज्य के 45 हजार गांवो की जमीन का सर्वे का निरिक्षण कराने का फैसला किया है। सर्वे कराये जाने को लेकर सरकार का कहना है कि इससे वह राज्य के 50 साल पुराने जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करना चाहती है। क्योंकि इन पचास सालों में जमीन के मालिकाना हक पर काफी बदलाव हुए हैं। सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि इस सर्वे में जमीन से जुड़ी 170 से ज्यादा प्रकार की जानकारियां इकट्ठी की जाएंगी। इसके अलावा 'इस सर्वे का एक उद्देश्य जमीन विवादों को कम करना भी है। पुराने रिकॉर्ड की वजह से कई बार विवाद होते हैं। नए सर्वे से यह समस्या दूर होगी।' सर्वे के दौरान लोगों को अपने जमीन के कागजात दिखाने होंगे। *----- दोस्तों इस मसले पर आपकी क्या राय है, क्या आपको भी लगता है कि शिक्षा के अभाव और कानून के उल्झे हुए दांव-पेचों ने महिलाओं को उनके हक और अधिकार से वंचित कर रखा है? *----- महिलाओं को भूमि अधिकार के बदले अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। इसके बदले में महिलाएं को किस तरह के सशक्तिकरण और स्वतंत्रता की उम्मीद की जा सकती है। *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों को मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है?

दोस्तों, भारत में विविधता की कोई कमी नहीं है। यहाँ के विभिन्न राज्य, जिलों और गांवों में भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक, भाषाई और भौगोलिक विशेषताएं हैं। ये भिन्नताएं जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करती हैं और विशेष रूप से महिलाओं की स्थिति को भी प्रभावित करती हैं।भारत के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में भारी अंतर है। शहरी और विकसित क्षेत्रों में जहां स्कूलों और शिक्षा संस्थानों की संख्या अधिक है और सुविधाएं बेहतर हैं, वहीं ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्कूलों की कमी और सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण शिक्षा प्राप्ति में असमानताएं देखने को मिलती हैं। दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- भारत के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह की असमानताएं है, जिसमे खेती किसानी भी एक है। यहाँ आपको किस तरह की असमानताएं नज़र आती है। *----- महिलाओं को कृषि और अन्य ग्रामीण उद्यमों में कैसे शामिल किया जा सकता है?

रोजगार और श्रम के मसले पर भी महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, और इसके पीछे का कारण भी वही हैं जो उन्हें अवसरों का समानता, स्वतंत्र निर्णय लेने में होने वाली परेशानियां है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत में महिलाओं का 81.8 प्रतिशत रोजगार अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में केंद्रित है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के ही अनुसार, औसतन भारतीय महिलाओं को पुरुषों की आय का 21% भुगतान किया जाता था। इस सबके पीछे का कारण यह है कि महिलाओं को उनके परिवार में ही हक और बराबरी के बारे न बताया जाता है और न सिखाया जाता है, जिसके चलते महिलाओं के पास विकल्प कम होते जाते हैं, और वह जो मिल रहा है रख लो वाली सोच की आदि हो जाती हैं, जोकि उनकी क्षमताओं के साथ अन्याय है। *----- दोस्तों महिलाओं के हक, अधिकार और समानता के मसले पर आपका क्या सोचते हैं ? *----- क्या आपको भी लगता है कि महिलाओं को पिता की संपत्ती में अधिकार के साथ उनके साथ समानता का व्यवहार किये जाने की आवश्यकता है? या फिर आप कुछ इससे अलग भी सोचते हैं,

भारत में भूमि, महिलाओं के सशक्तिकरण और आर्थिक स्वतंत्रता का एक महत्वपूर्ण साधन है। परंतु, सदियों से चली आ रही सामाजिक-सांस्कृतिक रूढ़ियों और कानूनी बाधाओं के कारण महिलाओं की भूमि पर अधिकार सीमित रहा है। यह सीमित पहुंच न केवल महिलाओं के व्यक्तिगत विकास को रोकती है, बल्कि समाज के पुरे विकास को भी रोकती करती है। आज भी महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में भूमि पर बहुत कम अधिकार हैं।यह देखते हुए कि महिलाएं बड़े पैमाने पर कृषि कार्य में लगी हुई हैं और अक्सर घरेलू उपभोग के लिए भोजन की प्राथमिक उत्पादक होती हैं। भूमि पर अधिक नियंत्रण के साथ, महिलाएं अधिक पौष्टिक फसलों, अधिक उत्पादक और टिकाऊ प्रथाओं में निवेश कर सकती हैं . तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों तक पहुंच में सुधार के लिए कौन से संसाधन और सहायता प्रणालियां आवश्यक हैं? *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकार को हासिल करने में संसाधनों तक सीमित पहुंच कैसे बाधा बनती है?

भारत जैसे देश में महिलाओं की स्थिति का थोड़ा सा अंदाजा इन आंकड़ों से भी लग सकता है। आजादी के महज चार सालों बाद साल 1951 में भारत की कुल साक्षरता दर केवल 18.3 फीसदी थी, इसमें से महिलाओं की साक्षरता दर 9 फीसदी से भी कम थी। वहीं, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के डाटा के अनुसार साल 2021 में देश की औसत साक्षरता दर 77.70 प्रतिशत थी जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 84.70 प्रतिशत, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 70.30 प्रतिशत थी। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि आजादी के बाद से अब तक महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। दोस्तों, *----- आपको क्या लगता है कि महिलाओं के प्रति हो रहे भेदभाव की क्या वजह हैं, "*----- महिलाओं के पास भी भूमि अधिकार हों! इस नज़रिए से हमारे कानूनों और नीतियों में आपको क्या कोई कमियां नज़र आती हैं? *----- महिलाओं को भूमि का अधिकार मिले , इसे हासिल करने के लिए हमारे कानूनों के नीतियों में ऐसे कौन से बदलाव होने चाहिए जिससे महिलाओं के लिए भूमि अधिकार पाना कुछ आसान बन सके?"

भूमि का मालिकाना हक़ महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में सहायता करता है। वे खेती कर सकती हैं, फसल उगा सकती हैं और बेच सकती हैं, या जमीन को पट्टे पर देकर आय प्राप्त कर सकती हैं। इससे उन्हें अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने और वित्तीय सुरक्षा हासिल करने में मदद मिलती है।भूमि पर अधिकार होने से महिलाओं को अपने जीवन और भविष्य के फैसले लेने की शक्ति मिलती है। वे यह तय कर सकती हैं कि जमीन का इस्तेमाल कैसे किया जाए, क्या फसल उगाई जाए और आय का कैसे प्रबंधन किया जाए। इससे उनका सामाजिक दायरा बढ़ता है और परिवार में उनकी स्थिति मजबूत होती है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को खत्म करने के लिए, जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक रीति-रिवाजों में बदलाव लाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने में पुरुषों और लड़कों की भूमिका क्या होनी चाहिए ? *----- महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने में मीडिया और नागरिक समाज क्या भूमिका आप देखते हैं?