भूमि पर महिलाओं के अधिकार, भूमि पर पुरुषों के अधिकार कई शताब्दियों पहले से देखे जाते हैं। यह कहते हुए कि यह महिलाओं, लड़कों, लड़कों के बारे में नहीं है, जब से वे पैदा हुए हैं, समाज के भीतर ये गलत धारणाएं हैं। यह देश की कहानी है, लड़की के पास अपने अधिकार और हिस्से के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है, यहां तक कि उसके घर की लड़कियां भी। यहां तक कि जहां ससुराल वाले जाते हैं, उन्हें जमीन पर कोई अधिकार नहीं दिया जा रहा है, जो कि मामला नहीं है। हर व्यक्ति को हर जगह समान अधिकार मिलने चाहिए। या किसी भी चीज़ पर समान वेतन मिलना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है और न ही समाज की सोच बदल रही है

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सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

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उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि समाज लिंग, जाति, धर्म आदि के आधार पर भी भेदभाव कर रहा है। पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता अधिक दिखाई देती है। महिलाओं के पास सभी प्रकार के अवसरों के लिए कम अवसर हैं। पुरुषों को हर जगह अधिक अवसर दिए जाते हैं, चाहे वह पढ़ाई हो, खाना हो, जीना हो, उठना हो, बैठना हो।

उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव करने की जो रूढ़िवादिता चली आ रही है, वह आज भी देखी जा सकती है। लोग सोचते थे कि बच्चे जीवन भर मेरे साथ रहेंगे, वे अच्छा खा रहे हैं, अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, लड़कियां कम खाएंगी, वे कम शिक्षित होंगी, उन्हें एक दिन घर जाना होगा। ऐसी सोच बहुत थी और आज के समय में भी यह सोच इस समाज में है, लेकिन महिलाएं पुरुषों के क्रम में कहीं नहीं हैं। महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, चाहे वह शिक्षा हो, नौकरी हो या अपने माता-पिता की देखभाल हो। बच्चों को उचित शिक्षा और उचित भोजन प्रदान करना अनिवार्य है क्योंकि प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने वाली महिलाएं ही हैं।

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महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?

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