भूमि पर महिलाओं के अधिकार, भूमि पर पुरुषों के अधिकार कई शताब्दियों पहले से देखे जाते हैं। यह कहते हुए कि यह महिलाओं, लड़कों, लड़कों के बारे में नहीं है, जब से वे पैदा हुए हैं, समाज के भीतर ये गलत धारणाएं हैं। यह देश की कहानी है, लड़की के पास अपने अधिकार और हिस्से के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है, यहां तक कि उसके घर की लड़कियां भी। यहां तक कि जहां ससुराल वाले जाते हैं, उन्हें जमीन पर कोई अधिकार नहीं दिया जा रहा है, जो कि मामला नहीं है। हर व्यक्ति को हर जगह समान अधिकार मिलने चाहिए। या किसी भी चीज़ पर समान वेतन मिलना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है और न ही समाज की सोच बदल रही है

हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

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