सुनिए एक प्यारी सी कहानी। इन कहानियों की मदद से आप अपने बच्चों की बोलने, सीखने और जानने की क्षमता बढ़ा सकते है।ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार कहानी, तो रिकॉर्ड करें फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

नमस्ते , मैं डॉली श्रीवास्तव हूँ , अम्बेडकर नगर , मोबाइल वाणी में आपका स्वागत है । बच्चे का व्यक्तित्व कमजोर होता है । ये माता - पिता की आदतें हैं । हर माता - पिता अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं । वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं , लेकिन इस चक्र में कई बार वे गलतियाँ करते हैं जिनका सीधा प्रभाव बच्चों के व्यक्तित्व पर पड़ता है । व्यक्तित्व सहवास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । जब बच्चे छोटे होते हैं , तो माता - पिता बच्चों के प्रति अत्यधिक सुरक्षात्मक हो जाते हैं , जिसके कारण वे अक्सर ऐसी गलतियाँ करते हैं जिनका बच्चों के व्यक्तित्व पर सीधा प्रभाव पड़ता है । छोटे बच्चों की परवरिश करते समय , माता - पिता को विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे उस आयु वर्ग में हों जहां उन्हें बहुत प्यार के साथ संभालने की आवश्यकता है । किसी भी चीज़ के लिए उन्हें दोष देने की गलती न करें , चाहे बच्चे की उम्र कुछ भी हो , कभी भी उन पर कुछ ऐसा आरोप न लगाएं जो उन्होंने नहीं किया हो । बच्चा अपने आप में विश्वास खो देता है और आपसे अलग भी हो सकता है । बच्चे सभी के प्रिय होते हैं , लेकिन इस चक्र में कई बार हम वे खुद जिद्दी होकर उन्हें खराब कर देते हैं , फिर बच्चों को लगने लगता है कि वे जिद्दी होकर किसी भी मांग को पूरा कर सकते हैं , यह आदत उनके व्यक्तित्व के लिए अच्छी नहीं है । घर के वातावरण का बच्चों के व्यक्तित्व पर सीधा प्रभाव पड़ता है बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने घर के वातावरण को खुश रखें , इससे आपके बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास में सुधार होगा । बड़े शहरों में माता - पिता दोनों ऑफिस जाते हैं , जिसकी वजह से वे अपने बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं ।

नमस्ते , मैं डॉली श्रीवास्तव हूँ , अम्बेडकर नगर मोबाइल वाणी में आपका स्वागत है । कई लोगों को एक समस्या होती है कि उनका बच्चा उनकी बात नहीं सुनता है । समझाएँ कि वे आपकी बात सुनेंगे , इसलिए हम जानते हैं कि बच्चों को सुनने के लिए क्या करना है । यह जानने के लिए कि हम सही क्यों हैं , हमें कुछ आसान मुद्रण युक्तियाँ अपनानी चाहिए । बच्चों के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें और उनसे दोस्ती करें । मान लीजिए कि जब आपका बच्चा आपको कुछ बता रहा हो , तो उसे ध्यान से सुनें ताकि वह महसूस करे कि आप उसके शब्दों में रुचि ले रहे हैं । इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे आपकी बात सुनने के लिए अधिक इच्छुक होंगे । बच्चों को छोटी - छोटी जिम्मेदारियां दें , इससे वे जिम्मेदार महसूस करेंगे और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा । बच्चों को प्यार और सम्मान दें , इससे वे आपसे प्यार करेंगे और आपकी बात सुनेंगे । बच्चों को अनुशासन सिखाएँ , इससे वे अपनी गलतियों से सीखेंगे । बच्चों को सही और गलत के बीच का अंतर सिखाएं । यह उसे सही काम करने के लिए प्रेरित करेगा बच्चों के साथ समय बिताएँ , यह उसे आपसे प्यार करने और आपकी बात सुनने के लिए प्रेरित करेगा धन्यवाद

जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में 'बचपन मनाओ-बढ़ते जाओ' कार्यक्रम सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नंबर 3.

जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है।आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.

जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में 'बचपन मनाओ-बढ़ते जाओ' कार्यक्रम सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नंबर 3.

परीक्षा केंद्रों तक सुरक्षित पहुंची तीन लाख कॉपियां

100bacho ko milay ga sponsheship ambedkar nagar update

Vewastha

जैसा की आपको पता है की बच्चों के पेट में होने वाले कृमि संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेशभर में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान चलाये जा रहे है जिससे बच्चे स्वस्थ्य और सुरक्षित रहे। हर साल 10 फरवरी को भारत राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाता है।इस दिन सभी आँगनबाड़ी केन्द्रो , सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर एवं सभी प्राथमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में 1 से 14 वर्ष तक के बच्चों में कीड़ों के असर को खत्म करने की दवा खिलायी जाती है। देश भर में बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और कृमि मुक्ति के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उठाया गया यह एक सराहनीय कदम है। दोस्तों हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी कृमि रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक खास थीम बनाई गयी है.,इस साल यानी 2024 की थीम है “एसटीएच हटाएं: बच्चों के स्वस्थ भविष्य में निवेश करें”। यह थीम देश को कृमि मुक्त कैसे करें,यह समझने में मदद करने के लिए बनायीं गई है। कृमि रोग बच्चों में होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो बच्चो के मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करता है। इसलिए आइये हम सब मिलकर एक संकल्प ले और इस अभियान का हिस्सा बन कर देश को कृमि मुक्त बनाये और बच्चों के भविष्य को सुंदर बनाये और सुरक्षित करें। मोबाइल वाणी परिवार की और से आप सभी श्रोताओं को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं