उत्तरप्रदेश राज्य के गोरखपुर जिला से अदिती श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि भारत इस समय गंभीर भूख और कुपोषण से जूझ रहा है । लेकिन एक तरह से जो शाही लोग हैं , यानी जो अमीर लोग हैं वे अपना पैसा इस तरह से दिखा रहे हैं कि हमारे देश में कोई भी भूखे नहीं है , बल्कि आज हमारे देश में स्थिति इसके विपरीत है ।बड़ी संख्या में ऐसे नवजात हैं जो भूखे मर रहे हैं , उन्हें खाने के लिए कोई भोजन नहीं मिल रहा है , आखिरकार बच्चे किसी भी देश का भविष्य हैं । सरकार को अपनी नीति में कुछ बदलाव करना चाहिए ताकि भारत के हर बच्चे को कम से कम भोजन मिल सके ।हमारा देश तभी विकास करेगा जब हमारे देश में एक भी नवजात शिशु भूख से नहीं मर रहा होगा , जब तक कि हमारे देश के सभी बच्चों को भोजन न मिल जाए । तब तक हमारा देश कितना भी विकसित हो , हम उसे विकासशील और विकसित की श्रेणी में नहीं चुनेंगे क्योंकि बच्चे कल का भविष्य हैं
दोस्तों, भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट से यह पता चला कि वर्तमान में भारत के करीब 6.57 प्रतिशत गांवों में ही वरिष्ठ माध्यमिक कक्षा 11वीं और 12वीं यानी हायर एजुकेशन के लिए स्कूल हैं। देश के केवल 11 प्रतिशत गांवों में ही 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के लिए हाई स्कूल हैं। यदि राज्यवार देखें तो आज भी देश के करीब 10 राज्य ऐसे हैं जहां 15 प्रतिशत से अधिक गांवों में कोई स्कूल नहीं है। शिक्षा में समानता का अधिकार बताने वाले देश के आंकड़े वास्तव में कुछ और ही बयान करते हैं और जहां एक तरफ शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति समाज की प्रगति का संकेत देती है, वहीं लड़कियों की लड़कों तुलना में कम संख्या हमारे समाज पर प्रश्न चिह्न भी लगाती है? वासतव में शायद आजाद देश की नारी शिक्षा के लिए अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं है। तब तक आप हमें बताइए कि * ------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने लाइन में खड़ी है ? * ------आपके हिसाब से लड़कियाँ की शिक्षा क्यों नहीं ले पा रहीं है ? लड़कियों की शिक्षा क्यों ज़रूरी है ? * ------साथ ही लड़कियाँ की शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?