प्रेरक कहानी

कहानी : एक राजा की

सुनिए एक प्यारी सी कहानी। इन कहानियों की मदद से आप अपने बच्चों की बोलने, सीखने और जानने की क्षमता बढ़ा सकते है। ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार कहानी, तो रिकॉर्ड करें फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।

नमस्कार दोस्तों , नमस्कार , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का स्वागत करता हूं । हां दोस्तों । आज की कहानी का शीर्षक द स्टोरी ऑफ द क्रो एंड द आउल है । बहुत समय पहले , घने जंगल में पक्षी इकट्ठा होते थे । वे अपनी समस्याओं को राजा को बताते थे और राजा उन्हें हल करता था , लेकिन एक जंगल भी था जिसका राजा , गुरु , केवल भगवान विष्णु की भक्ति में डूबा हुआ था । पक्षियों ने आम सभा बुलाई और सभा में सभी पक्षियों ने एक स्वर में कहा कि हमारे राजा ने हम पर ध्यान नहीं दिया , तो मोर ने कहा कि हमें अपनी समस्याओं को लेकर विष्णु लोक जाना है । हमारे राजा को छोड़कर सभी पीड़ित हैं । उसी समय हुदहुद पक्षी ने एक नया राजा बनाने का प्रस्ताव रखा , कोयल ने कुहू कुहू और मुर्गों का शोर मचाकर इसका समर्थन किया और इस प्रकार सभा में परेशान पक्षियों ने सर्वसम्मति से एक नए राजा का प्रस्ताव रखा । राजा को नियुक्त करने का निर्णय लिया गया । इसके बाद राजा का चुनाव करने के लिए हर दिन एक बैठक आयोजित की जाती थी । कई दिनों की चर्चा के बाद , सभी ने सर्वसम्मति से उल्लू को राजा के रूप में चुना । जैसे ही नया राजा चुना गया , सभी पक्षियों ने उल्लू को राजा के रूप में अभिषेक करने का फैसला किया । पवित्र जल उन सभी तीर्थ स्थलों से लाया जाता है जो तैयारी में हैं और राजा के सिंहासन को मोतियों से जोड़ने का काम तेजी से शुरू होता है । सारी तैयारी के बाद उल्लू के राज्याभिषेक का दिन आता है । सामान तैयार था , तोते मंत्र का पाठ कर रहे थे , फिर दोनों तोते ने उल्लू को राज्याभिषेक से पहले लक्ष्मी मंदिर जाने के लिए कहा , उल्लू तुरंत तैयार हो जाता है और इतनी तैयारी और सजावट देखकर एक ही समय में दो तोते के साथ पूजा के लिए उड़ जाता है । कौआ आया और कौआ ने पूछा , ओह , ये तैयारी क्या हैं , उत्सव किस लिए हैं ? मोन ने कौवे से कहा , " हमने जंगल का एक नया राजा चुना है । " आज उनका राज्याभिषेक होना है । यह सजावट उनके लिए बनाई गई है । लाल कौवे ने गुस्से में कहा , यह निर्णय लेते समय मुझे क्यों नहीं बुलाया गया ? मैं भी एक पक्षी हूँ । मोन ने तुरंत जवाब दिया , " यह निर्णय जंगली पक्षियों की सभा में लिया गया था । " अब आप मनुष्यों के शहरों और गाँवों में बहुत दूर चले गए हैं । गुस्से में काले कौवे ने पूछा कि आपने किसे राजा के रूप में चुना है , फिर मोर ने उल्लू से कहा कि कौवे को यह सुनकर गुस्सा आता है और वह जोर से कौवे मारने लगता है और अपना सिर पीटने लगता है , इसलिए मोर ने पूछा , " आपको क्या हुआ ? " उसने कहा , " आप सभी बहुत मूर्ख हैं , आपने अपना राजा बनने के लिए उस उल्लू को चुना है जो दिन भर सोता है । " आपको शर्म नहीं आई , इसके बाद धीरे - धीरे कौवा पक्षियों से अधिक बार बात करने लगा , सभी आपस में फुसफुसाने लगे , उन्हें लगा कि उन्होंने बड़ी गलती कर दी है , इसलिए राज्य को देखते ही सभी पक्षी वहाँ से गायब हो गए । पक्षी के लिए सजाया गया स्थान पूरी तरह से सुना जाता है । अब जैसे ही उल्लू और दो तोते वापस आए , उन्हें उस जगह की आवाज सुनाई दी । यह देखकर वे दोनों अपने साथियों को खोजने के लिए वहाँ से उड़ गए । उल्लू कुछ भी नहीं देख सकता था । इसलिए वह कुछ नहीं जानता था और राज्याभिषेक के लिए तैयार होने लगा , लेकिन उसे संदेह था कि चारों ओर शांति है , इसलिए उल्लू जोर से चिल्लाया । जैसे ही उल्लू ने यह सुना , उल्लू चिल्लाया और पूछा कि ऐसा क्यों हुआ । उल्लू के दोस्त ने एक कौवे को बताया और उसने सभी को पत्ता सिखाया , जिसके कारण अब सभी यहाँ से चले गए । यहाँ केवल कौआ है । सपना चकनाचूर हो गया , दुखी उल्लू ने कौवे से कहा , तूने मेरे साथ ऐसा क्यों किया , लेकिन कौवे ने जवाब नहीं दिया , इतना कि उल्लू ने घोषणा कर दी कि आज से कौवा मेरा दुश्मन है । ता है और कौवा उल्लू की धमकी सुनकर परेशान हो जाते हैं और थोड़ी देर सोचने के बाद इस दौरान उसने उल्लू से दुश्मनी व्यर्थ कर दी , उसे भी बहुत अफ़सोस हुआ , लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सका क्योंकि मामला बिगड़ गया था । तब से , उल्लू और कौवों के बीच प्रतिद्वंद्विता रही है , इसलिए उल्लू मौका मिलने पर कौवों को मार देते हैं और कौवे उल्लू को मार देते हैं ।

नमस्ते दोस्तों मैं आप सभी का स्वागत करता हूँ महेश सिंह मोबाइल वाणी अंबेडकर नगर समाचार में हा तो दोस्तों आज की कहानी का शीर्षक है अर्बन रैट और विलेज रैट की कहानी एक बार की बात है दो चूहे बहुत अच्छे दोस्त थे एक चूहा शहर में रहता था और दूसरा गाँव में था , लेकिन दोनों को वहाँ आने वाले चूहों से एक - दूसरे की खबर मिलती रही । एक दिन शहर का चूहा अपने दोस्त से मिलना चाहता था , इसलिए उसने अपने दोस्त के माध्यम से गाँव के चूहे के पास अपने गाँव आने की खबर दी । वह अपने आने की खबर सुनकर बहुत खुश हैं । वह अपने दोस्तों के स्वागत की तैयारी करने लगा । फिर वह दिन आया जब शहर का चूहा अपने दोस्त से मिलने गाँव पहुँचा । गाँव के चूहे ने अपने दोस्त का बहुत खुशी से स्वागत किया । दोनों गाँव के बारे में खूब बातें करते थे । चूहे ने कहा कि शहर में बहुत प्रदूषण होगा , लेकिन यहाँ गाँव का वातावरण बहुत शुद्ध है । इन सब बातों पर चर्चा करने के बाद दोनों चूहों को भूख लग गई । गाँव के चूहे ने अपने दोस्तों को बड़े प्यार से खाने के लिए कुछ फलों की रोटी और दाल के चावल परोसे । खाना खाने के बाद , वे दोनों गाँव के शहर में गए और गाँव के सुंदर दृश्यों का आनंद लिया और गाँव की हरियाली दिखाते हुए , गाँव के चूहे ने शहर के चूहे से पूछा कि क्या शहर का समान हरा दृश्य है । शहर के चूहे ने इसका जवाब नहीं दिया , लेकिन अपने दोस्त को शहर आने का निमंत्रण दिया । अगले दिन के शहर के बाद , दोनों चूहों ने रात में खाना खाया और गाँव के चूहे ने फिर से अपने दोस्तों को फल और अनाज दिखाए । दोनों ने खाना खाया और सो गए । अगली सुबह गाँव का चूहा अपने दोस्त के साथ नाचता था , फिर उसे नाचते देख शहर का फल और चूहा चिड़चिड़ा हो जाता था । उसने गाँव के चूहे से चिढ़ते हुए कहा , क्या तुम यहाँ हर दिन एक ही खाना खा रहे हो ? तो क्या यह नहीं है कि शहर के चूहे ने अपने दोस्त से कहा , चलो इस समय शहर में चलते हैं यह देखने के लिए कि वहाँ कितना आरामदायक जीवन है और खाने के लिए कितने प्रकार की चीजें हैं । चूहे शहर के लिए निकल जाते हैं । शहर पहुँचते ही रात हो जाती है । शहर का चूहा एक बड़े घर में रहता था । गाँव का चूहा इतना बड़ा घर देखकर हैरान रह गया , फिर उसने देखा कि मेज़ पर कई तरह के खाने - पीने के सामान थे । दोनों चूहे खा रहे थे । गाँव का चूहा चीज़ का टुकड़ा चखने के लिए बैठ गया , उसे चीज़ बहुत पसंद आया और उसने तुरंत उसे चख लिया । अभी वे दोनों खाना खा रहे थे , उन दोनों को बिल्ली की आवाज़ सुनाई दी । शहर के चूहे ने तुरंत गाँव के चूहे को नोट में डाल दिया । छिपने के लिए कहने पर उसने कहा दोस्त , जल्दी से बिल में छिप जाओ वरना बिल्ली हमारा शिकार कर लेगी । दोनों बिल में भाग कर छिप गए । गाँव का चूहा बहुत डर गया । कुछ ही देर में बिल्ली वहाँ से चली गई और दोनों बाहर आ गईं । शहर के चूहे ने गाँव के चूहे को साहस दिया । उन्होंने कहा कि अब कोई डर नहीं है , दोस्त , कि बिल्ली चली गई है , यह सब जीवन का एक हिस्सा है , यह सामान्य है । इसके बाद दोनों फिर से खाना खाने लगे । अभी गाँव का चूहा रोटी खाने लगा था । दरवाजे पर एक शोर था और एक लड़का एक बड़ी बिल्ली पर चिल्ला रहा था । गाँव का चूहा कुत्ते के साथ अंदर आने लगा , गाँव के चूहे का डर और बढ़ गया और उसने शहर के चूहे से इसके बारे में पूछा । शहर के चूहे ने पहले गाँव के चूहे को बिल में छिपने के लिए कहा और फिर बिल में छिपते हुए गाँव के चूहे से कहा कि यह घर के मालिक का है । कुत्ते के जाने के बाद दोनों चूहे गड्ढे से बाहर आए और इस बार गाँव का चूहा पहले से भी ज़्यादा डर गया । शहर के चूहे ने गाँव के चूहे से कुछ कहा । गाँव के चूहे ने जाने की अनुमति माँगी । गाँव के चूहे ने अपने दोस्त को बताया । आपके स्वादिष्ट भोजन के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद लेकिन मैं यहाँ हर दिन अपनी जान जोखिम में नहीं डाल सकता । मेरे घर पर स्वादिष्ट भोजन और मेरे घर पर बहुमूल्य जीवन । गाँव का चूहा शहर छोड़कर गाँव चला गया ।

साथियों , नमस्कार मैनोहित सिंह , मैं आप सभी का मोबाइल वाणी अंबेडकर नगर न्यूज में स्वागत करता हूं । जहाँ सब लोग एक साथ रहते थे , सब जंगल के नियमों का पालन करते थे और हर त्योहार एक साथ मनाते थे , एक ही में चीनी और मिनी नाम की दो बिल्लियाँ थीं । दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और उन्होंने कभी एक - दूसरे का साथ नहीं छोड़ा । हर कोई उनकी दोस्ती की प्रशंसा करता था , इसलिए एक बार मिनी को किसी काम के लिए बाजार जाना पड़ता था , लेकिन किसी कारण से चीनी उसके साथ नहीं जा सकती थी । यह सोचकर कि वह बाजार में क्यों नहीं घूमती और रास्ते में उसे रोटी का एक टुकड़ा क्यों मिला , वह अकेले रोटी खाने के लिए लालायित हो गई और जैसे ही वह रोटी का टुकड़ा खाने वाली थी , वह उसे लेकर घर आ गई । जब मिनी ने उसके हाथ में रोटी देखी , तो उसने उससे पूछा , ' चीनी , हम सब कुछ साझा करते हैं और तुम मेरे साथ खाते थे , क्या तुम आज मुझे रोटी नहीं दोगी ? ' जैसे ही चीनी ने मिनी को देखा , वह डर गई और मिनी को पूरे दिल से कोसना शुरू कर दिया । इस पर चीनी ने जल्दबाजी में कहा कि ' ओह नहीं बहन , मैं रोटी आधी कर रही थी ताकि हम दोनों को बराबर रोटी मिल सके ' । मिनी सब कुछ समझ गई थी और उसके मन में भी लालच था , लेकिन रोटी टूटते ही उसने कुछ नहीं कहा , मिनी चिल्लाई कि मेरे हिस्से में रोटी कम आ गई है , इसलिए चीनी को रोटी दे दी गई । वह उससे कम देना चाहती थी , फिर भी उसने कहा कि वह उतनी ही रोटी देती है , इसलिए दोनों में झगड़ा हो गया और धीरे - धीरे यह बात पूरे जंगल में फैल गई । हर कोई उन दोनों को लड़ते हुए देख रहा था , उसी समय एक बंदर था । ता है और उसने कहा कि मैं दोनों के बीच रोटी बराबर बाँट दूंगा । सब लोग बंदर को हां कहने लगे । इसके बाद दोनों ने बंदर को रोटी दी , भले ही वे नहीं चाहते थे । बंदर कहीं से तराजू लाया था । और रोटी के टुकड़ों को दोनों तरफ रख दें , जिस तरफ वजन अधिक था , वह यह कहकर उस तरफ से थोड़ी रोटी खाएगा कि अगर इस रोटी को दूसरी तरफ रखा जाए , तो मैं रोटी के वजन के बराबर हूँ । रोटी का एक टुकड़ा खाने से दूसरी तरफ की रोटी भारी हो जाती थी , और इसलिए ऐसा करने से दोनों तरफ रोटी के बहुत छोटे टुकड़े रह जाते थे । जब बिल्लियों ने इतनी कम रोटी देखी , तो वे बोलने लगीं कि हमारी रोटी टूट गई है । इसे वापस कर दो , हम बची हुई रोटी आपस में बाँट लेंगे , फिर बंदर कहता है , ' ओह , तुम दोनों बहुत चालाक हो , मुझे मेरी मेहनत का फल नहीं मिलेगा ' । बंदर यह कहकर चला जाता है , दोनों बिस्तरों में बची रोटी के टुकड़े खा जाता है । और दोनों बदमाशी एक - दूसरे को घूरते रहते हैं , इसलिए हम इस कहानी से सीखते हैं कि हमें कभी भी लालची नहीं होना चाहिए , हमारे पास जो है उससे हमें संतुष्ट रहना चाहिए और एक - दूसरे के साथ संतुष्ट रहना चाहिए ।

नमस्कार दोस्तों , मैं महेश सिंह हूँ । मैं आप सभी का स्वागत करता हूं । मोबाइल बडी अम्बेडकर नगर । दोस्तों , आज की कहानी का शीर्षक है फ्रॉग एंड माउस स्टोरी । यह बहुत पहले की बात है । किसी घराने जंगल । एक छोटा सा तालाब था जिसमें एक मेंढक रहता था । वह एक दोस्त की तलाश में था । एक दिन उसी तालाब के पास एक पेड़ के नीचे से एक चूहा निकला । चूहे ने मेंढक को खुश और उदास देखा और उससे पूछा कि उसके दोस्त ने क्या कहा । आप बहुत दुखी दिखते हैं । मेंढक ने कहा , " मेरा कोई दोस्त नहीं है जिससे मैं बहुत बात कर सकूं । मैं आपको अपनी खुशी और दुख बताता हूं " । यह सुनकर चूहा उछल पड़ा और उसने जवाब दिया , " अरे , आज से तुम मुझे अपना दोस्त समझते हो , मैं हर समय तुम्हारे साथ रहूंगा । " जैसे ही मेंढक यह सुनता है , मेंढक बहुत खुश हो जाता है । जैसे ही दोस्ती होती है , दोनों घंटों एक - दूसरे से बात करने लगते हैं । मेंढक जलाशय के माध्यम से नहीं चलता है और कभी - कभी पेड़ के नीचे चूहे के दिल में जाता है । कभी - कभी वे दोनों जलाशय के बाहर बैठते हैं और बहुत बात करते हैं । दोनों के बीच दोस्ती दिन - ब - दिन गहरी होती गई । चूहा और मेंढक अक्सर एक दूसरे के साथ अपने विचार साझा करते थे । मेंढक ने सोचा कि मैं अक्सर चूहे के गड्ढे में उससे बात करने जाऊंगा , लेकिन चूहा कभी भी मेरे जलाशय में नहीं आएगा । यह सोचकर कि मेंढक के पास चूहे को पानी में डालने की कोई तरकीब है , चतुर मेंढक ने चूहे से कहा , दोस्त , हमारी दोस्ती बहुत गहरी हो गई है । अब हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हम एक - दूसरे को याद रखें । हमें एहसास हुआ कि चूहा सहमत हो गया और उसने हां कहा , लेकिन क्या हम ऐसा करेंगे ? दुष्ट मेंढक ने रस्सी से उग्रता से कहा और एक बार मेरा पैर बंधा हुआ है , जैसे ही हम एक - दूसरे को देखते हैं । अगर वह चूक जाता है , तो हम उसे खींच लेंगे ताकि हमें पता चले कि चूहे को मेंढक के धोखे का कोई पता नहीं था , इसलिए चूहा तुरंत इसके लिए सहमत हो जाता है । उसे बांधने के बाद मेंढक तुरंत पानी में कूद गया । मेंढक खुश था क्योंकि उसका तारिक काम कर रहा था , जबकि पानी में जमीन पर बैठे चूहे की हालत बिगड़ गई । कुछ समय बाद चूहा मर जाता है । बाज आसमान में उड़ते हुए यह सब देख रहा था । जैसे ही उसने चूहे को पानी में तैरते देखा , बाज ने तुरंत उसे अपने मुंह में दबा लिया और उड़ गया । दुष्ट मेंढक को भी चूहे से बांध दिया गया था , इसलिए वह भी बाज के चंगुल में फंस गया । उसे यह सोचने में देर नहीं लगी कि वह आकाश में कैसे उड़ रहा है । जैसे ही उन्होंने ऊपर देखा , उन्हें बाज़ को देखकर राहत मिली । वह भगवान से अपने जीवन के लिए भीख मांगता था , लेकिन बाज ने उसे चूहे के साथ खा लिया । फिर दोस्तों , हम इस कहानी से सीखते हैं कि जो लोग दूसरों को नुकसान पहुँचाने के बारे में सोचते हैं , वे भी कभी अच्छे नहीं होते क्योंकि उन्हें उतना ही मिलता है जितना उन्हें मिलता है ।

नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का स्वागत करता हूं । मोबाइल वाणी अम्बेडकर नगर समाचार में आप तो साथियों की कहानी आज की कहानी का शीर्षक है । नकली तोते की कहानी एक समय की कहानी है । घने जंगल में एक बड़ा बरगद का पेड़ था । उस पेड़ पर कई पेड़ थे । वे हमेशा इधर - उधर बात करते रहते थे , उनके बीच मिट्ठू नाम का एक तोता था । वे बहुत कम बोलते थे और शांत रहना पसंद करते थे । हर कोई उसकी आदत का मजाक उड़ाता था , लेकिन वह कभी किसी को बुरा नहीं मानते थे । एक दिन दो तोते आपस में बात कर रहे थे । पहले तोते ने कहा , मैंने एक बार बहुत अच्छा आम खाया था । मैंने इसे पूरे दिन बड़े स्वाद के साथ खाया । दूसरे तोते ने जवाब दिया , मैंने भी एक दिन आम का फल खाया था । मैंने भी इसे बड़े स्वाद के साथ खाया । मुहि मेन्थुट तोता चुपचाप बैठा हुआ था तो तोते के मुखिया ने उसकी ओर देखा और कहा , " अरे , हम तोते को एक काम है , तुम चुप क्यों हो ? " मुखिया ने आगे कहा , " आप बहुत अच्छे हैं । " तुम मुझे असली तोते की तरह नहीं लगते , तुम इस पर नकली तोते हो , सभी तोते उसे नकली तोता कहने लगे , लेकिन मीठा तोता अभी भी चुप था , उसके बाद यह सब पता चला । अचानक , एक रात उसकी पत्नी का हरा चारा चोरी हो जाता है , मुखिया की पत्नी का हार चोरी हो जाता है । मुखिया की पत्नी रोते हुए आती है और मुखिया को सब कुछ बताती है । तब पत्नी ने कहा , यह सुनकर कि किसी ने मेरा हार चुरा लिया है और वह हमारे झुंड में से एक है , प्रमुख ने तुरंत एक बैठक बुलाई और सभी तोते तुरंत बैठक के लिए इकट्ठा हो गए । मुखिया ने कहा , " मेरी पत्नी का हार चोरी हो गया है । हर कोई यह सुनकर हैरान रह गया कि चोर आप में से एक था । प्रमुख ने आगे कहा कि उन्होंने अपना मुंह कपड़े से ढक लिया था , लेकिन उनकी चोंच बाहर दिखाई दे रही थी । और उसकी चोंच लाल थी , इसलिए सभी की नज़रें मिट्ठू तोते और हिरू नाम के एक और तोते पर थीं , क्योंकि झुंड में केवल उन्हीं की चोंच लाल थी । लेकिन प्रमुख ने सोचा कि ये दोनों मेरे अपने हैं , मैं उनसे कैसे पूछ सकता हूं कि क्या आप चोर हैं , इसलिए प्रमुख ने यह पता लगाने के लिए एक कौवे से मदद ली । ऐसा कहा जाता है कि कौवे ने लाल - बिल वाले हिरण और सामने कैंडी तोते को बुलाया और कौवे ने दोनों तोते से पूछा कि वे चोरी के समय कहाँ थे । मैं उस रात जल्दी सोने चला गया । मिट्टू तोते ने बहुत नीची आवाज़ में जवाब दिया । उन्होंने कहा , मैं उस रात सो रहा था । यह सुनकर कौवे ने फिर पूछा कि आप दोनों अपनी बात को साबित करने के लिए क्या कर सकते हैं । हीरू तोता ने बड़ी आवाज़ में कहा , मैं उस रात सो रहा था , हर कोई मेरे बारे में जानता है , यह चोरी मिट्टू ने की होगी , इसलिए वह इतनी शांति से खड़ा रहा । मित्तु तोता चुपचाप खड़ा हो गया । बैठक में सभी तोते चुप थे । यह सब देखकर मिट्टू तोता ने बहुत नीची आवाज़ में कहा कि मैंने इसे नहीं चुराया है और यह सुनकर कौवा मुस्कुरा दिया और कहा कि चोर मिल गया है । इस पर मुखिया ने पूछा कि अब वह ऐसा कैसे कह सकते हैं । कौवा मुस्कुराए और कहा , हीरू तोता ज़ोर से बोलकर अपना झूठ साबित करने की कोशिश कर रहा था , जबकि मिट्टू तोता जानता है कि वह सच बोल रहा है , इसलिए वह आराम से अपनी बात कह रहा है । कौवे ने आगे कहा , " वैसे भी , हिरू तोता बहुत बोलता है , उसके शब्दों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है । " इसके बाद , हिरू ने अपना गलत काम कबूल कर लिया और सभी से माफी मांग ली । यह सुनकर सभी तोते कहने लगे कि हिरू तोते को कड़ी सजा दी जानी चाहिए । लेकिन मिट्टू टोटे ने कहा , " प्रमुख , हीरू टोटे ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है , उन्होंने सभी के सामने माफी भी मांगी है । यह पहली बार है जब उसने यह गलती की है , इसलिए उसे माफ किया जा सकता है ।

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नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का मोबाइल वाणी अंबेडकर नगर न्यूज में स्वागत करता हूं । साथियों , एक जंगल में दो बकरियाँ हुआ करती थीं , वे जंगल के अलग - अलग हिस्सों में घास खाते थे । जंगल में एक नदी भी थी । बीच में एक बहुत छोटा चौड़ा पुल था , इस पुल से एक बार में केवल एक ही गुजर सकता था । एक दिन इन दोनों बकरियों के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है । एक दिन दोनों बकरियाँ घास पर चढ़ते हुए नदी तक पहुँचती हैं और दोनों नदी पार करके जंगल के दूसरे हिस्से में पहुँच जाती हैं । जानी चाहते थे कि अब एक समय में केवल दो पुल हों , पुल की चौड़ाई कम होने के कारण , एक बार में केवल एक बकरी इस पुल से गुजर सकती थी , लेकिन उनमें से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था । सुनो , पहले मुझे जाने दो , तुम मेरे बाद पुल पार करो , जबकि दूसरी बकरी ने जवाब दिया , नहीं , पहले मुझे पुल पार करने दो , फिर तुम पुल पार करो या बोलते हुए , आज दोनों बकरियाँ पुल के बीच में पहुँच गईं और वे दोनों एक - दूसरे से सहमत नहीं हुए । अब बकरियों के बीच , मेरे लिए दो शुरू हो गए हैं । पहली बकरी ने कहा कि पहले पुल पर पुल , मैं पहले पुल पर आया था , इसलिए मैं पहले पार करूँगा । फिर दूसरी बकरी ने तुरंत जवाब दिया , नहीं , मैं पहले पुल पर आया हूँ , इसलिए मैं पहले पार करूँगा । वह बढ़ती जा रही थी और इन दोनों बकरियों को बिल्कुल याद नहीं था कि वे चौड़े पुल पर कितने छोटे खड़े थे । दोनों बकरियाँ लड़ते हुए अचानक नदी में गिर गईं और नदी बहुत गहरी थी और उसका प्रवाह भी बहुत तेज था । दोनों बकरियाँ उस नदी में बह जाती हैं और मर जाती हैं , इसलिए दोस्तों , हम इस कहानी से सीखते हैं कि झगड़ा किसी भी समस्या का समाधान नहीं करता है , इसके विपरीत , यह सभी को अधिक नुकसान पहुंचाता है , इसलिए ऐसी स्थिति में शांत मन से काम करें ।