लोकतंत्र के महापर्व में आपकी भागीदारी जरूरी है इसके लिए आपका वोटर होना अनिवार्य है अगर आप अब तक वोटर नहीं बन पाए हैं यह सूची में नाम नहीं है तो अभी मौका है आप होटल बन सकते हैं और मतदाता सूची में नाम भी जुड़वा सकते हैं अभी कैसे वाटर बनेंगे और सूची में नाम कैसे जोड़ेंगे इसकी जानकारी हम किस दर किस्त आप तक पहुंचाएंगे....
स्वास्थ्य विभाग कुंभ महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य मामले में प्रदेश की रैंकिंग में दूसरा स्थान मिला है......
भाजपा की केंद्र और प्रदेश सरकारी की योजना को प्राप्त किए लाभार्थी से उनके बीच में जाकर संपर्क करने की योजना पर कार्य करने के संबंध में....
बेरोजगार को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु जनपद वार सर इंडिया लिमिटेड जौनपुर के तत्वाधान में शिविर का आयोजन किया गया है....
जिला अस्पताल में चल रहे ब्लड बैंक में ब्लड का घोर संकट पैदा हो गया है......
नमस्कार दोस्तों , नमस्कार , मैं मोहित सिंह हूँ , आप सभी का स्वागत है । हां , दोस्तों , आज की कहानी का शीर्षक है धन का अभिशाप , प्रभु यीशु मसीह कहते थे । एक हाथी सुई के छेद से बाहर आ सकता है , लेकिन एक अमीर आदमी स्वर्ग के द्वार तक भी नहीं पहुंच सकता है , यही कारण है कि वह जीवन भर धन के लिए तरसता नहीं था । न ही उन्होंने एक अमीर आदमी को अपना शिष्य बनाया ; एक बार एक आदमी उनके पास आया , जो स्पष्ट रूप से परेशान था , लेकिन कुछ समय बाद वह मान गया । तो यीशु ने कहा , " आपने स्वर्ग का द्वार खोल दिया है , और मैं वहाँ जाना चाहता हूँ । मुझे वहाँ भेज दो । मैं स्वर्ग देखना चाहता हूँ । जो आदमी जाना चाहता था , उसने जवाब दिया , " हाँ , यीशु ने पूरा सवाल पूछा , क्या तुम सच में जाना चाहते हो ? " उस आदमी ने जवाब दिया , हाँ , यीशु ने कहा , इसके बारे में सोचिए । हां , मैंने यह सोचकर जवाब दिया कि यीशु फिर से बोल रहे हैं । खैर , मुझे अपने घर के तहखानों की चाबियाँ दो । आदमी ने कहा , " मैं यह नहीं कर सकता । " यीशु ने पूछा , " तुम्हारा घर कहाँ है ? " आप इसे मुझे क्यों नहीं दे सकते ? आपने इतना पैसा जमा किया है कि आपको चोरी होने का डर है । आदमी कहता है , " नहीं , मुझे अपने पैसे के चोरी होने का डर नहीं है , बल्कि इसके दुरुपयोग का डर है । " इस डर से कि कोई मेरी संपत्ति ले सकता है , यीशु कहते हैं , जाओ , तुम कभी भी स्वर्ग नहीं जा सकते क्योंकि तुम्हारे पास वे सभी गुण नहीं हैं जो स्वर्ग जाने वालों के पास होने चाहिए ।
नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूं , आप सभी का स्वागत है । वह भेड़ों को चराने के लिए चरागाह पर ले जाता था । एक शाम , जब वह लौट रहा था , कुछ जंगली बकरियाँ भेड़ों के साथ घुल - मिल गईं । उकी का झुंड अपने आप बढ़ता गया , इसलिए वह बकरियों को अपने साथ ले गया और वापस आ गया । उसने भेड़ों और बकरियों को एक साथ बाड़े में बंद कर दिया । वह अगली सुबह उठा । इसलिए बाहर बारिश हो रही थी , उसने फैसला किया कि वह घर पर भेड़ों और बकरियों को खिलाएगा । उनके पास कम घास थी । उन्होंने अपनी भेड़ों को खाने के लिए कुछ घास और बकरियों को अधिक दिया । बारिश रुकने पर बकरियाँ वहाँ खुशी से रुकेंगी , उसने बाड़ का दरवाजा खोलते ही बाड़ खोल दी । सभी बकरियाँ बाहर आईं और भागने लगीं । आपने अपनी भीड़ से अधिक भोजन दिया , फिर भी वह चला जा रहा है । फिर बकरियों में से एक रुक गई और कहा , " आपने कल हमारे लिए अपनी पुरानी भीड़ को कम खाना दिया , अगर कुछ भी हो । " जब नई भेड़ और बकरियाँ आपके पास आती हैं , तो बकरी यह कहते हुए चली जाती है कि आप हमारी देखभाल भी नहीं करेंगे । चरवाहे ने सोचा कि बकरी ने सही बात कही है । उस दिन के बाद , उन्होंने एक नए के लिए अपने झुंड दिए ।
नमस्कार दोस्तों , नमस्कार , मैं मोहट सिंह , आप सभी का स्वागत है । मोबाइल वाणी अम्बेडकर नगर न्यूज में हा , दोस्तों , आज की कहानी का शीर्षक है आदत से मजबूर एक घोड़ा । वह चल रहा था जब उसने लोमड़ी को अपनी ओर आते देखा । वह लोमड़ी के स्वभाव को जानता था । वह जानता था कि लोमड़ी बहुत चालाक है । यहाँ लोमड़ी को भी यह पता था । वे घोड़े बहुत मजबूत होते हैं , इसलिए वह घोड़े को भ्रमित करने का एक तरीका भी सोच रही थी । यह हो गया है , फिर घोड़े ने कहा कि ऐसा लगता है कि एक कांटा मेरे पैर में घुस गया है , लेकिन इसलिए बहुत तेज दर्द है और चलना भी मुश्किल है । लोमड़ी ने कहा कि मैंने डॉक्टर से इलाज माँगा है । आप बहुत परेशानी में होंगे । मुझे अपना पैर लाओ । यह कहते हुए लोमड़ी चतुराई से घोड़े को पैर से पकड़ने के लिए झुक गई । उसने सोचा कि अगर उसने घोड़े को एक बार देखा , अगर गिरा दिया जाता है , तो इसे नियंत्रित करना आसान हो जाता है , लेकिन जैसे ही लोमड़ी उसका पैर पकड़ना चाहती है , घोड़ा बुद्धिमान हो जाता है । अब गरीब लंगड़ा बतख घोड़े के बजाय लंगड़ा हो रहा था और सोच रहा था कि मेरी आदत छल करना है और घोड़े की आदत अपने आप दोनों को लात मारने की है ।
नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूं , आप सभी का स्वागत है । हां , दोस्तों , आज की कहानी का शीर्षक है दारपोक रैबिट । आपको पता होगा कि खरगोश बहुत डरपोक होते हैं । एक खरगोश को डरने की आदत बहुत बुरी लगती थी , वह सोचता था कि हे भगवान , तुम मुझे इतना क्यों डराते हो कि मैं कोई भी प्यार करने से डरता हूँ । मुझे इतना डर क्यों लग रहा है ? उसने क्यों सोचा कि वह अब और नहीं डरेगा ? उसने खुद से कहा , मैं बहादुर हूँ , मैं कायर हूँ । नहीं हूं , तभी थोड़ी सी आवाज़ आई और खरगोश डर कर भागने लगा । आदत इतनी जल्दी नहीं बदलती । आप लोगों को पता होगा कि दौड़ते समय वह तालाब के किनारे तक पहुंच जाता है । वहाँ कुछ मेंढक खेल रहे हैं , जैसे ही उन्हें किसी के आने की आवाज़ सुनाई देती है , वे डर से तुरंत पानी में कूद जाते हैं । खरगोश को राहत मिली और उसने सोचा कि चलो किसी ऐसे व्यक्ति को छोड़ दें जो मुझसे भी हो । इसका मतलब है कि दुनिया में हर कोई किसी न किसी से डरता है और सबसे मजबूत व्यक्ति भी भगवान से डरता है , इसलिए वह खुद से ज्यादा मजबूत है ।
नमस्कार दोस्तों , नमस्कार , मैं मोहित सिंह हूं , आप सभी का स्वागत है । मोबाइल वाणी , अंबेडकर नगर न्यूज , हाथ में हाथ । दोस्तों , आज की कहानी का शीर्षक है ढोल वाले की मूर्खता एक समय में , एक ढोलकी वादक बाल मोहन और उनका बेटा राम । नारायणपुर गाँव में एक विवाह समारोह में हुए विवाह समारोह के अंत में पिता और पुत्र दोनों को पुरस्कार के रूप में बहुत सारे पैसे और कुछ सोने और चांदी के गहने मिलते हैं । एक छोटे से जंगल को पार करते हुए बेटे ने कहा , ' पिता , आज मैं बहुत खुश हो गया हूं , आज मैंने जितना सोचा था उससे कई गुना ज्यादा कमाया है । ' इस पर पिता खुश हुए और बोले , ' बेटा , राम , आज तूने बड़े दिल से ढोल बजाया । ' यही कारण है कि आज के समय में जब दोनों जंगल की सड़क के बीच में पहुँचे तो बालमोहन के बेटे ने अचानक जोर से ढोल बजाना शुरू कर दिया । बालमोहन ने कहा , अरे बेटा राम , तुम अभी क्या कर रहे हो , तुम समझ नहीं पाओगे । पापा , आज मैं बहुत खुश हूँ । मैं बार - बार ढोल बजाना चाहता हूं लेकिन इस जंगल में इतनी जोर से नहीं बजाता । वहाँ चोरों और लुटेरों का एक समूह है , वे ढोल की जोरदार आवाज सुनकर यहाँ आएंगे और बालमोहन ने अपने बेटे से कहा , " बिल्कुल भी चिंता मत करो , पिताजी , मैं अपने ढोल की आवाज से उन्हें डरा दूंगा । " इस पर शाम हँसे और कहा , " जब लुटेरों का एक समूह जंगल में छिपा हुआ था , उन्होंने ढोल की आवाज सुनी और सोचा कि कोई राजा अपनी टीम के साथ शिकार करने आया है । हां , आप जो धुन लगातार बजा रहे हैं , वह केवल एक बार बजाई जाती है , लेकिन राम जहां होने वाले थे , वे लगातार ड्रम बजाते रहे , तुरंत ड्रम बजाना बंद कर दें । जब बालमोहन ने धूल की आवाज़ सुनी , तो उसने गुस्से में अपने बेटे राम से कहा , " पिता , तुम अनावश्यक रूप से इतने डरते हो कि मैं उसे अपने ढोल की तेज आवाज़ से इतना डरा दूंगा कि वह हमारी ओर आ जाएगा । " यह कहते हुए कि वह इसके बारे में सोचेगा भी नहीं , राम ने फिर से ढोल बजाना शुरू कर दिया , जबकि लुटेरों के समूह के प्रमुख ने फिर से ढोल की आवाज सुनी । जैसे ही उसने आवाज़ सुनी , उसने अपने साथियों से कहा , फिर वही धुन । इसका मतलब है कि यहाँ कोई राजा नहीं है । सरदार , शिकारी बजाने नहीं आया है , मुझे लगता है कि किसी ने नया ढोल बजाना सीख लिया है और बहुत पैसा कमाने के बाद एक समारोह से वापस जा रहा है । समूह के सदस्यों में से एक ने अपनी राय व्यक्त की । आप सही कह रहे हैं । आइए हम इस ढोल को बजाते हैं । लुटेरों के सरदार ने अपने साथियों को यह कहते हुए आदेश दिया कि कुछ ही समय में लुटेरे ढोलक वादक के पिता और पुत्र के पास पहुंच गए और उन दोनों को मोटे बंडलों के साथ देखकर लुटेरों के सरदार को समझ आया कि उनके पास था । आज उन्हें बहुत सारा अनाज और पैसा मिला है । इन दोनों से तुरंत दूर ले जाते हुए , इस गथारिया सरदार ने अपने साथियों को आदेश दिया । लुटेरों ने इन दोनों से अपना सारा सामान ले लिया और उन्हें डंडों से पीटा और वहां से भर दिया । मैंने कई बार ढोल बजाने से मना कर दिया था , लेकिन आपने मेरी बात बिल्कुल नहीं सुनी । आपने स्वयं आज अपने पैर की कुल्हाड़ी स्वीकार की । बालमोहन ने सिर थपथपाते हुए अपने बेटे से कहा । क्षमा करें , आज मैंने अधिक पैसा कमाने की खुशी में एक बड़ी गलती की , मैं समझ गया कि बड़ों की आज्ञा का पालन करने के परिणाम हमेशा बुरे होते हैं अगर आप बड़ों की आज्ञा का पालन नहीं करेंगे , तो पिता और पुत्र दोनों निराश होंगे । जब आगंतुक अपने गाँव की ओर चलना शुरू करते हैं , तो दोस्त इस कहानी से सीखते हैं कि बुजुर्ग जो कुछ भी कहते हैं , जो भी सलाह देते हैं , उसमें अच्छाई होती है ।