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कविता
नमस्कार दोस्तों , नमस्कार , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का स्वागत करता हूं । मोबाइल वाणी अम्बेडकर नगर नेवारी में है । साथियों , आज मैं फिर से आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूँ और उसका शीर्षक है साधु और रात की कहानी । बहुत पहले , एक गाँव में एक साधु मंदिर में रहता था , उसका दैनिक दिनचर्या भगवान की पूजा करना और आने वाले लोगों को धर्म का प्रचार करना था । कुछ न कुछ दान किया गया था , इसलिए साधु के लिए भोजन और कपड़ों की कोई कमी नहीं थी । हर दिन खाने के बाद , साधु बचा हुआ भोजन छीनकर छत से फेंक देते थे । वह आसानी से बाहर निकल रहा था , लेकिन अब साधु के साथ एक अजीब घटना होने लगी थी । जो खाना उसने छींक में रखा था वह गायब हो जाएगा । साधु ने हताशा में इस बारे में पता लगाने का फैसला किया । वह रात में दरवाजे के पीछे से चिल्लाया । अगले दिन उन्होंने छत्ते को उठाया ताकि चूहा उस तक न पहुंच सके , लेकिन यह उपाय भी काम नहीं आया । वह छिलका लगाने के बाद छींकता था और खाना निकाल लेता था । अब साधु को चूहों से परेशानी होती थी । एक दिन एक भिखारी उस मंदिर में आया । उन्होंने साधु को परेशान देखा और उनकी परेशानी का कारण मोक्ष पाया गया । दक्षुका ने साधु से कहा कि उसे पहले यह पता लगाना चाहिए कि चूहे को इतनी ऊँची छलांग लगाने की शक्ति कहां से मिली कि उसी रात दक्षुका और साधु दोनों एक साथ पता लगाना चाहते थे । यह जानना चाहते हुए कि चूहा भोजन कहाँ लेता है , दोनों ने चुपके से चूहे का पीछा किया और देखा कि चूहे ने मंदिर के पीछे अपना बिल बना लिया था । चूहे के जाने के बाद , उन्होंने बिल खोदा और देखा कि बिल चूहे के दिल में खा रहा था और पी रहा था । वहाँ सामान का एक बड़ा भंडार है , तो बचचुक ने कहा कि यही कारण है कि चूहे में इतनी ऊँची कूदने की शक्ति है , जब चूहा वहाँ वापस आया तो उन्होंने उस सामग्री को बाहर निकाला और गरीबों को वितरित किया । वहाँ सब कुछ खाली पाते हुए , उसने सारा आत्मविश्वास खो दिया और यह सोचकर कि वह फिर से खाना इकट्ठा कर लेगा , वह रात में छींक के पास गया और कूद गया लेकिन आत्मविश्वास की कमी थी । क्योंकि वह छींक तक नहीं पहुंच सका और साधु ने उसे वहाँ से भगा दिया , कहानी सिखाती है कि संसाधनों की कमी से आत्मविश्वास की कमी हो जाती है , इसलिए आपको अपने पास मौजूद संसाधनों का ध्यान रखना चाहिए ।
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नमस्कार दोस्तों , नमस्ते , मैं महेश सिंह हूँ , आप सभी का स्वागत है । हां , दोस्तों , आज हम आपके लिए एक कहानी लेकर आए हैं , तो यह कहानी का शीर्षक है । दो हंसों की कहानी बहुत पुरानी है । हिमालय में मानस नामक एक प्रसिद्ध झील थी , जहाँ कई जानवरों और पक्षियों के साथ हंसों का झुंड भी रहता था । उनमें से दो हंस थे । दोनों बहुत आकर्षक और दिखने में एक जैसे थे लेकिन उनमें से एक राजा था और दूसरा सेनापति था । उस समय झील और उसमें रहने वाले हंस बादलों के बीच में स्वर्ग की तरह लग रहे थे , पर्यटकों के जाने से झील की प्रसिद्धि देश - विदेश में फैल गई । गाँव में उन्होंने जो किया उससे प्रभावित होकर वाराणसी के राजा उस दृश्य को देखना चाहते थे । राजा ने अपने राज्य में एक बहुत ही समान झील का निर्माण कराया और वहां विभिन्न प्रकार के सुंदर और आकर्षक फूल उगाए गए । पौधों के साथ - साथ उन्होंने स्वादिष्ट फलों के पेड़ लगाने के साथ - साथ जानवरों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की देखभाल और संरक्षण का भी आदेश दिया । और वाराणसी की यह झील भी स्वर्ग जितनी ही सुंदर थी , लेकिन राजा को तब भी मानस सरोवर में रहने वाले दो हंसों को देखने की इच्छा थी । उसने राजा के सामने वाराणसी की झील में जाने की इच्छा व्यक्त की , लेकिन हंसों का राजा बुद्धिमान था , वह जानता था कि अगर वह वहाँ गया तो राजा उसे पकड़ लेगा । उन्होंने सभी हंसों को वाराणसी जाने से मना कर दिया । लेकिन वे सहमत नहीं हुए , फिर जैसे ही हंस का झुंड उस झील पर पहुंचा , सभी हंस राजा और सेनापति के साथ वाराणसी की ओर उड़ गए , सिवाय प्रसिद्ध हंसों के । दो हंसों की सुंदरता सोने की तरह चमकती थी , उनकी चोंच सोने की तरह दिखती थी , उनके पैर और पंख बादलों से भी सफेद थे । राजा को उन हंसों के आगमन के बारे में सूचित किया गया जो उन्हें आकर्षित कर रहे थे । उन्होंने हंसों को पकड़ने के लिए एक चाल सोची और एक रात जब सभी सो गए , तो उन्होंने उन हंसों को पकड़ने के लिए एक जाल बिछाया । गया अगले दिन जब हंसों का राजा उठा और टहलने निकला तो वह जाल में फंस गया । उन्होंने तुरंत अन्य सभी हंसों को वहाँ से उड़ने और अपनी जान बचाने का आदेश दिया । बाकी सभी हंस उड़ गए । लेकिन उनके सेनापति समुखा , अपने स्वामी को फँसे हुए देखकर , उसे बचाने के लिए वहाँ रुक गए । इस बीच , सैनिक हंस को पकड़ने के लिए वहाँ आया । उसने देखा कि हंसों का राजा जाल में फंस गया था और दूसरा राजा बच गया था । सैनिक हंस की भक्ति से बहुत प्रभावित हुआ और हंसों के राजा को छोड़ दिया । हंसों का राजा बुद्धिमान होने के साथ - साथ दूरदर्शी भी था । उसने सोचा कि अगर राजा को पता चला कि सैनिक ने उसे छोड़ दिया है , तो राजा निश्चित रूप से उसे मार डालेगा । फिर उसने सैनिक से कहा , " तुम हमें अपने राजा के पास ले जाओ । " दोनों हंस सैनिक के कंधे पर बैठे थे । हंस सैनिक के कंधे पर बैठे थे । जब राजा ने राहत मांगी , तो सैनिक ने पूरी बात सच्चाई से बताई । राज ने सैनिक की बात सुनी । राजा के साथ - साथ पूरा दरबार उनके साहस और सेनापति की भक्ति से चकित था और उनके प्रति सभी का प्रेम जागृत हो गया था । राजा ने सैनिक को माफ कर दिया और दोनों हंसों को सम्मान के साथ कुछ और दिन दिए । हंस ने राजा के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और कुछ दिनों तक वहाँ रहे और वापस मानस झील चले गए , इसलिए यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें किसी भी परिस्थिति में अपने प्रियजनों को नहीं छोड़ना चाहिए ।
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नमस्ते , डॉली श्रीवास्तव अम्बेडकर नगर मोबाइल वाणी में आपका स्वागत है , इसलिए आज मैं आपके लिए बिल्लियों और चूहों की कहानी लेकर आया हूँ । और वह चौकस थी और उसकी इस चालाक और सतर्कता को देखने के बाद चूहे भी सतर्क हो गए और अब चूहे बिल्ली के हाथों में नहीं आ रहे थे । एक भी चूहा उनके पास नहीं आया क्योंकि वे उनके भेष को सुनकर अपने गड्ढों में छिप जाते थे । बिल्ली भूख से बचने की योजना बनाने लगी । फिर उसके दिमाग में कुछ आया और वह एक तम्बू में चला गया । उसने उल्टी की और सभी चूहों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वे मर चुके हैं । सभी चूहे अपने बिल से बिल्ली को देख रहे थे । वे जानते थे कि बिल्ली बहुत चालाक थी । इसलिए कोई भी चूहा अपने बिलों से बाहर नहीं निकला , लेकिन कैट बी हार मानने वाला नहीं था । वह लंबे समय तक एक ही मेज पर लेटी रही , उल्टी करने लगी और धीरे - धीरे चूहों को यह महसूस होने लगा । बिल्ली मर गई है , वह जश्न मनाते हुए अपने बिल से बाहर आने लगा । जैसे ही चूहा बिल्ली की मेज़ के पास पहुँचा , उसने कूदकर दो चूहों को पकड़ लिया । इस तरह बिल्ली ने इस बार उसका पेट भर दिया लेकिन चूहे अब और भी सतर्क , दो चूहों को खाने के बाद , बिल्ली फिर से भूखे रहने लगी , क्योंकि चूहे अब लापरवाही नहीं करना चाहते थे । इस बार बिल्ली को पेट भरने के लिए एक बार फिर से योजना बनानी पड़ी । इस बार छोटी सी योजना काम नहीं कर रही थी , इसलिए बिल्ली ने अब खुद को पूरे आटे से ढक लिया । चूहों ने सोचा कि वे आटा और वह खाने आए हैं , लेकिन एक बूढ़े चूहे ने उन्हें रोक दिया । जब उसने आटे को ध्यान से देखा तो उसमें बिल्ली का आकार देख सका , फिर बूढ़ा चूहा शोर करने लगा । उसने कहा , ' अपने बिल पर जाओ । बिल्ली आटे में छिपी हुई है । पुराने चूहे को सुनो । ' जब एक भी चूहा लंबे समय तक बिल्ली तक नहीं पहुँचा तो सभी चूहे अपने बिलों में चले गए , फिर थकान के कारण बिल्ली जाग गई ।
छोटे नन्हे मुन्ने बच्चों के लिए बहुत ही प्यारा सा गीत आलू कचालू बेटा कहां गए थे बंदर की झोपड़ी में सो रहे थे बंदर ने लात मारा रो रहे थे मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे