नमस्कार दोस्तों , मैं महेश सिंह हूँ । मैं आप सभी का स्वागत करता हूं । मोबाइल बडी अम्बेडकर नगर । दोस्तों , आज की कहानी का शीर्षक है फ्रॉग एंड माउस स्टोरी । यह बहुत पहले की बात है । किसी घराने जंगल । एक छोटा सा तालाब था जिसमें एक मेंढक रहता था । वह एक दोस्त की तलाश में था । एक दिन उसी तालाब के पास एक पेड़ के नीचे से एक चूहा निकला । चूहे ने मेंढक को खुश और उदास देखा और उससे पूछा कि उसके दोस्त ने क्या कहा । आप बहुत दुखी दिखते हैं । मेंढक ने कहा , " मेरा कोई दोस्त नहीं है जिससे मैं बहुत बात कर सकूं । मैं आपको अपनी खुशी और दुख बताता हूं " । यह सुनकर चूहा उछल पड़ा और उसने जवाब दिया , " अरे , आज से तुम मुझे अपना दोस्त समझते हो , मैं हर समय तुम्हारे साथ रहूंगा । " जैसे ही मेंढक यह सुनता है , मेंढक बहुत खुश हो जाता है । जैसे ही दोस्ती होती है , दोनों घंटों एक - दूसरे से बात करने लगते हैं । मेंढक जलाशय के माध्यम से नहीं चलता है और कभी - कभी पेड़ के नीचे चूहे के दिल में जाता है । कभी - कभी वे दोनों जलाशय के बाहर बैठते हैं और बहुत बात करते हैं । दोनों के बीच दोस्ती दिन - ब - दिन गहरी होती गई । चूहा और मेंढक अक्सर एक दूसरे के साथ अपने विचार साझा करते थे । मेंढक ने सोचा कि मैं अक्सर चूहे के गड्ढे में उससे बात करने जाऊंगा , लेकिन चूहा कभी भी मेरे जलाशय में नहीं आएगा । यह सोचकर कि मेंढक के पास चूहे को पानी में डालने की कोई तरकीब है , चतुर मेंढक ने चूहे से कहा , दोस्त , हमारी दोस्ती बहुत गहरी हो गई है । अब हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हम एक - दूसरे को याद रखें । हमें एहसास हुआ कि चूहा सहमत हो गया और उसने हां कहा , लेकिन क्या हम ऐसा करेंगे ? दुष्ट मेंढक ने रस्सी से उग्रता से कहा और एक बार मेरा पैर बंधा हुआ है , जैसे ही हम एक - दूसरे को देखते हैं । अगर वह चूक जाता है , तो हम उसे खींच लेंगे ताकि हमें पता चले कि चूहे को मेंढक के धोखे का कोई पता नहीं था , इसलिए चूहा तुरंत इसके लिए सहमत हो जाता है । उसे बांधने के बाद मेंढक तुरंत पानी में कूद गया । मेंढक खुश था क्योंकि उसका तारिक काम कर रहा था , जबकि पानी में जमीन पर बैठे चूहे की हालत बिगड़ गई । कुछ समय बाद चूहा मर जाता है । बाज आसमान में उड़ते हुए यह सब देख रहा था । जैसे ही उसने चूहे को पानी में तैरते देखा , बाज ने तुरंत उसे अपने मुंह में दबा लिया और उड़ गया । दुष्ट मेंढक को भी चूहे से बांध दिया गया था , इसलिए वह भी बाज के चंगुल में फंस गया । उसे यह सोचने में देर नहीं लगी कि वह आकाश में कैसे उड़ रहा है । जैसे ही उन्होंने ऊपर देखा , उन्हें बाज़ को देखकर राहत मिली । वह भगवान से अपने जीवन के लिए भीख मांगता था , लेकिन बाज ने उसे चूहे के साथ खा लिया । फिर दोस्तों , हम इस कहानी से सीखते हैं कि जो लोग दूसरों को नुकसान पहुँचाने के बारे में सोचते हैं , वे भी कभी अच्छे नहीं होते क्योंकि उन्हें उतना ही मिलता है जितना उन्हें मिलता है ।
नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का स्वागत करता हूं । मोबाइल वाणी अम्बेडकर नगर समाचार में आप तो साथियों की कहानी आज की कहानी का शीर्षक है । नकली तोते की कहानी एक समय की कहानी है । घने जंगल में एक बड़ा बरगद का पेड़ था । उस पेड़ पर कई पेड़ थे । वे हमेशा इधर - उधर बात करते रहते थे , उनके बीच मिट्ठू नाम का एक तोता था । वे बहुत कम बोलते थे और शांत रहना पसंद करते थे । हर कोई उसकी आदत का मजाक उड़ाता था , लेकिन वह कभी किसी को बुरा नहीं मानते थे । एक दिन दो तोते आपस में बात कर रहे थे । पहले तोते ने कहा , मैंने एक बार बहुत अच्छा आम खाया था । मैंने इसे पूरे दिन बड़े स्वाद के साथ खाया । दूसरे तोते ने जवाब दिया , मैंने भी एक दिन आम का फल खाया था । मैंने भी इसे बड़े स्वाद के साथ खाया । मुहि मेन्थुट तोता चुपचाप बैठा हुआ था तो तोते के मुखिया ने उसकी ओर देखा और कहा , " अरे , हम तोते को एक काम है , तुम चुप क्यों हो ? " मुखिया ने आगे कहा , " आप बहुत अच्छे हैं । " तुम मुझे असली तोते की तरह नहीं लगते , तुम इस पर नकली तोते हो , सभी तोते उसे नकली तोता कहने लगे , लेकिन मीठा तोता अभी भी चुप था , उसके बाद यह सब पता चला । अचानक , एक रात उसकी पत्नी का हरा चारा चोरी हो जाता है , मुखिया की पत्नी का हार चोरी हो जाता है । मुखिया की पत्नी रोते हुए आती है और मुखिया को सब कुछ बताती है । तब पत्नी ने कहा , यह सुनकर कि किसी ने मेरा हार चुरा लिया है और वह हमारे झुंड में से एक है , प्रमुख ने तुरंत एक बैठक बुलाई और सभी तोते तुरंत बैठक के लिए इकट्ठा हो गए । मुखिया ने कहा , " मेरी पत्नी का हार चोरी हो गया है । हर कोई यह सुनकर हैरान रह गया कि चोर आप में से एक था । प्रमुख ने आगे कहा कि उन्होंने अपना मुंह कपड़े से ढक लिया था , लेकिन उनकी चोंच बाहर दिखाई दे रही थी । और उसकी चोंच लाल थी , इसलिए सभी की नज़रें मिट्ठू तोते और हिरू नाम के एक और तोते पर थीं , क्योंकि झुंड में केवल उन्हीं की चोंच लाल थी । लेकिन प्रमुख ने सोचा कि ये दोनों मेरे अपने हैं , मैं उनसे कैसे पूछ सकता हूं कि क्या आप चोर हैं , इसलिए प्रमुख ने यह पता लगाने के लिए एक कौवे से मदद ली । ऐसा कहा जाता है कि कौवे ने लाल - बिल वाले हिरण और सामने कैंडी तोते को बुलाया और कौवे ने दोनों तोते से पूछा कि वे चोरी के समय कहाँ थे । मैं उस रात जल्दी सोने चला गया । मिट्टू तोते ने बहुत नीची आवाज़ में जवाब दिया । उन्होंने कहा , मैं उस रात सो रहा था । यह सुनकर कौवे ने फिर पूछा कि आप दोनों अपनी बात को साबित करने के लिए क्या कर सकते हैं । हीरू तोता ने बड़ी आवाज़ में कहा , मैं उस रात सो रहा था , हर कोई मेरे बारे में जानता है , यह चोरी मिट्टू ने की होगी , इसलिए वह इतनी शांति से खड़ा रहा । मित्तु तोता चुपचाप खड़ा हो गया । बैठक में सभी तोते चुप थे । यह सब देखकर मिट्टू तोता ने बहुत नीची आवाज़ में कहा कि मैंने इसे नहीं चुराया है और यह सुनकर कौवा मुस्कुरा दिया और कहा कि चोर मिल गया है । इस पर मुखिया ने पूछा कि अब वह ऐसा कैसे कह सकते हैं । कौवा मुस्कुराए और कहा , हीरू तोता ज़ोर से बोलकर अपना झूठ साबित करने की कोशिश कर रहा था , जबकि मिट्टू तोता जानता है कि वह सच बोल रहा है , इसलिए वह आराम से अपनी बात कह रहा है । कौवे ने आगे कहा , " वैसे भी , हिरू तोता बहुत बोलता है , उसके शब्दों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है । " इसके बाद , हिरू ने अपना गलत काम कबूल कर लिया और सभी से माफी मांग ली । यह सुनकर सभी तोते कहने लगे कि हिरू तोते को कड़ी सजा दी जानी चाहिए । लेकिन मिट्टू टोटे ने कहा , " प्रमुख , हीरू टोटे ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है , उन्होंने सभी के सामने माफी भी मांगी है । यह पहली बार है जब उसने यह गलती की है , इसलिए उसे माफ किया जा सकता है ।
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नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का मोबाइल वाणी अंबेडकर नगर न्यूज में स्वागत करता हूं । साथियों , एक जंगल में दो बकरियाँ हुआ करती थीं , वे जंगल के अलग - अलग हिस्सों में घास खाते थे । जंगल में एक नदी भी थी । बीच में एक बहुत छोटा चौड़ा पुल था , इस पुल से एक बार में केवल एक ही गुजर सकता था । एक दिन इन दोनों बकरियों के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है । एक दिन दोनों बकरियाँ घास पर चढ़ते हुए नदी तक पहुँचती हैं और दोनों नदी पार करके जंगल के दूसरे हिस्से में पहुँच जाती हैं । जानी चाहते थे कि अब एक समय में केवल दो पुल हों , पुल की चौड़ाई कम होने के कारण , एक बार में केवल एक बकरी इस पुल से गुजर सकती थी , लेकिन उनमें से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था । सुनो , पहले मुझे जाने दो , तुम मेरे बाद पुल पार करो , जबकि दूसरी बकरी ने जवाब दिया , नहीं , पहले मुझे पुल पार करने दो , फिर तुम पुल पार करो या बोलते हुए , आज दोनों बकरियाँ पुल के बीच में पहुँच गईं और वे दोनों एक - दूसरे से सहमत नहीं हुए । अब बकरियों के बीच , मेरे लिए दो शुरू हो गए हैं । पहली बकरी ने कहा कि पहले पुल पर पुल , मैं पहले पुल पर आया था , इसलिए मैं पहले पार करूँगा । फिर दूसरी बकरी ने तुरंत जवाब दिया , नहीं , मैं पहले पुल पर आया हूँ , इसलिए मैं पहले पार करूँगा । वह बढ़ती जा रही थी और इन दोनों बकरियों को बिल्कुल याद नहीं था कि वे चौड़े पुल पर कितने छोटे खड़े थे । दोनों बकरियाँ लड़ते हुए अचानक नदी में गिर गईं और नदी बहुत गहरी थी और उसका प्रवाह भी बहुत तेज था । दोनों बकरियाँ उस नदी में बह जाती हैं और मर जाती हैं , इसलिए दोस्तों , हम इस कहानी से सीखते हैं कि झगड़ा किसी भी समस्या का समाधान नहीं करता है , इसके विपरीत , यह सभी को अधिक नुकसान पहुंचाता है , इसलिए ऐसी स्थिति में शांत मन से काम करें ।
नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूं , आप सभी का स्वागत है । साथियों , आज की कहानी का शीर्षक है कबूतर और मधुमक्खी की कहानी , मानो नदी के किनारे किसी जंगल में कुछ समय की बात हो । उसी जंगल में जहाँ कबूतर रहता था , एक दिन एक मधुमक्खी कहीं से गुजर रही थी , अचानक वह नदी में गिर गई , उसके पंख गीले हो गए और उसने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की , लेकिन जब उसे लगा कि वह वहाँ मर जाएगा तो वह बाहर नहीं निकल सकी । इसलिए वह मदद के लिए चिल्लाने लगा तो पास के पेड़ पर बैठे कबूतर ने उसे देखा और कबूतर तुरंत उसकी मदद करने के लिए पेड़ से उड़ गया और फिर कबूतर ने मधुमक्खी को बचाने के लिए एक चाल सोची । इसकी चोंच में पकड़ा जाता है और इसे नदी में गिरा दिया जाता है जैसे ही उसे पत्ता मिलता है , मधुमक्खी उस पर बैठ जाती है और कुछ ही समय में उसके पंख सूख जाते हैं । अब वह उड़ने के लिए तैयार थी । उसने अपनी जान बचाने के लिए कबूतर को धन्यवाद दिया । तब मधुमक्खी वहाँ थी । कई दिन बीत चुके थे जब एक दिन वही कबूतर गहरी नींद में सो रहा था जब एक लड़का उसे गुलेल से निशाना बना रहा था । कबूतर गहरी नींद में था इसलिए वह इस बात से अनजान था लेकिन साथ ही एक मधुमक्खी जा रही थी जिसके पास से उसने लड़के को देखा और यह वह मधुमक्खी थी जिसमें कबूतर की जान बच गई थी , मधुमक्खी तुरंत लड़के की ओर उड़ गई और उसे सीधे लड़के के हाथ पर डंक मार दिया । जैसे ही मधुमक्खी काटती है , लड़का तेजी से चिल्लाता है और गुलेल उसके हाथ से गिर जाता है । लड़के की चिल्लाहट की आवाज़ से कबूतर की नींद और कबूतर की नींद जग जाती है । मक्खी के कारण सभी कबूतर बच गए और उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए मधुमक्खी को धन्यवाद दिया और बोलने के बाद दोनों उड़ जाते हैं , इसलिए हम इस कहानी से सीखते हैं कि हम मुसीबत में हैं ।
अंबेडकर नगर की मंडी में ताज़ा अनाज का भाव
अंबेडकर नगर की मंडी में सब्जियों और फलों का रेट कुछ इस प्रकार है
सब्जी मंडी भाव
फल मंडी भाव जाने
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