नमस्कार दोस्तों , नमस्कार , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का मोबाइल वाडी अंबेडकर नगर न्यूज में स्वागत करता हूं । हां , दोस्तों , आज की कहानी का शीर्षक है लालची कुत्ते की कहानी । वह इधर - उधर घूमता था और भोजन की तलाश करता था , वह इतना लालची था कि उसे मुश्किल से खाना मिलता था , पहले गांव के अन्य कुत्तों से उसकी अच्छी दोस्ती थी , लेकिन इस आदत के कारण हर कोई उससे दूर रहने लगा । उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था , वह सिर्फ अपना खाना चाहता था । कोई आता और उसे कुछ खाने को देता । वह जो खा सकता था उसे खा लेता था । वह अकेले ही खाना खाते थे । एक दिन उसे कहीं से हड्डी मिली । उसने सोचा कि उसे अकेले इसका आनंद लेना चाहिए , यह सोचकर कि वह गाँव से जंगल जा रहा है । रास्ते में वह पुल के ऊपर से नदी पार कर रहे थे , तभी उनकी नज़र नीचे नदी के रुके हुए पानी पर नहीं पड़ी । लेकिन उस समय उनकी आँखों में केवल हड्डी का लालच था , उन्हें यह भी पता नहीं था कि नदी के पानी में उनका अपना चेहरा दिखाई दे रहा है , इसलिए उन्होंने सोचा कि नीचे कोई है जिसके पास दूसरी हड्डी है , इसलिए उन्होंने सोचा कि उन्हें क्यों नहीं । अगर मैं उसकी हड्डी छीन लूंगा , तो मुझे दो हड्डियां मिलेंगी , फिर मैं एक ही समय में दो हड्डियों का मज़ा खा पाऊंगा , यह सोचकर कि जैसे ही वह पानी में कूदता है , उसके मुंह से हड्डी सीधे नदी में गिर जाती है और उसके मुंह से हड्डी पानी में गिर जाती है ।